Book Title: Chaitanya Chamatkar
Author(s): Hukamchand Bharilla
Publisher: Todarmal Granthamala Jaipur

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Page 4
________________ चैतन्य चमत्कार युवा फैडरेशन के द्वारा सात संस्करणों के माध्यम से ४१ हजार ६०० की संख्या में जन-जन तक पहुँच चुके हैं। ये इन्टरव्यू 'युगपुरुष श्री कानजी स्वामी' नामक पुस्तक में भी १८ हजार २०० की संख्या में तथा आत्मधर्म (हिन्दी) के सम्पादकीय में ७ हजार की संख्या में छप चुके हैं। स्वामीजी के स्वर्गवास के बाद फिर वही भ्रान्त धारणाओं के बादल मंडरा रहे हैं। अत: उसके निराकरण की दृष्टि से यह अष्टम संस्करण ५ हजार की संख्या में पण्डित टोडरमल स्मारक ट्रस्ट द्वारा पुन: प्रकाशित किया जा रहा है। इसप्रकार कुल मिलाकर ७१ हजार ८०० की संख्या में जन-जन तक पहुँच चुकी है। आध्यात्मिकसत्पुरुष श्री कानजी स्वामी और डॉ. हुकमचन्दजी भारिल्ल के प्रवचन सी.डी. और डी. वी. डी. में हमारे यहाँ उपलब्ध हैं, जो अत्यन्त अल्प मूल्य में आपको प्राप्त हो सकते हैं। इसीप्रकार उक्त दोनों महानुभावों द्वारा प्रस्तुत सम्पूर्ण साहित्य भी अत्यल्प मूल्य पर उपलब्ध है। यदि आप इस युग में अध्यात्म का रहस्य समझना चाहते हैं तो उपलब्ध सी. डी. को अवश्य सुनें और साहित्य को भी अवश्य पढ़ें। __ हमें आशा है कि इस कृति के अध्ययन से सही स्थिति का ज्ञान होगा तथा उनकी भ्रान्तियाँ दूर होंगी। इसी आशा और विश्वास के साथ। - ब्र. यशपाल जैन, एम. ए. प्रकाशन मंत्री पूज्य कानजा स्वामी से उनकी जन्म-जयन्ती के अवसर पर वैशाख शुक्ला द्वितीया. दिनांक १ मई. १९७६ को बम्बई में सायंकालीन तत्त्वचर्चा के समय सैकड़ों व्यक्तियों के बीच सम्पादक आत्मधर्म द्वारा लिया गया इन्टरव्यू जन-जन की जानकारी के लिए यहाँ प्रस्तुत है। स्वामीजी के बारे में कुछ धारणाएँ आज समाज में प्रश्नों के रूप में उपस्थित हैं, जिनकी चर्चा सर्वत्र होती देखी जाती है। उन प्रश्नों के उत्तर, उन शंकाओं का समाधान स्वयं स्वामीजी के मुख से हो, यही उद्देश्य रहा है इस इन्टरव्यू का। "हमारे पास तो चतन्य का चमत्कार है. जाद की लकड़ी का नही।" - यह उत्तर पूज्य कानजी स्वामी ने उस समय दिया, जब उनसे पूछा गया कि हमने सुना है कि आपके पास कोई जादू की लकड़ी का चमत्कार है। आप जिस पर उसे फेर देते हो, वह आपका भक्त हो

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