Book Title: Chaitanya Chamatkar
Author(s): Hukamchand Bharilla
Publisher: Todarmal Granthamala Jaipur

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Page 19
________________ ३४ अब हम क्या चर्चा करें? चैतन्य चमत्कार बने हैं और अपनी श्रद्धा से ही बने रहेंगे।" ___जब मैंने कहा कि - "यह तो सही है कि वे कौन होते हैं किसी को दिगम्बर या गैर दिगम्बर घोषित करने वाले और उनकी घोषणा से होता भी क्या है ? फिर भी समाज में शान्ति तो रहनी ही चाहिए । शान्ति के लिए कुछ न कुछ तो उपाय करना ही चाहिए।" “क्यों नहीं करना चाहिए, अवश्य करना चाहिए। पर शान्ति का उपाय तो एक मात्र आत्मा का आश्रय करना है। भगवान तो यही कहते हैं । यदि भगवान के बताए मार्ग पर चलना है तो यही एक मार्ग है और तो सब बातें हैं।" “यह तो बिल्कुल ठीक है कि शान्ति का उपाय एक मात्र आत्मा का आश्रय करना है। पर यदि चर्चा के माध्यम से आपकी बात - आत्मा की बात उन लोगों के समझ में भी आ जाय तो जो लोग आपका विरोध करते हैं, उन लोगों का भी हित हो सकता है तथा सामाजिक वातावरण भी ठीक हो सकता है। आप ही तो कहते हैं कि भाई! आत्मा तो सभी समान हैं, भूल मात्र पर्याय में है और पर्याय एक समय की है।" जब मैंने यह कहा तब समझाते हुए बोले - "यह आत्मा की बात अत्यन्त सूक्ष्म है। जो लड़ने या समझाने के मूड में आएगा, उसकी समझ में आनी सम्भव नहीं। जो समझने के लिए आवे, महीनों शान्ति से सुने, अभ्यास करे, तो समझ में आ सकती है। माथे पर सवार होकर आने वाले के समझ में आवे - ऐसी बात नहीं है। अत्यन्त गम्भीर और सूक्ष्म बात है न । बाहर-बाहर की बात से समझ में आने वाली नहीं। हमें तो किसी से कोई चर्चा करनी नहीं है, हम तो कहीं चर्चा के लिए जाते नहीं।" “आप मत जाइये । चर्चा करने वालों को यहाँ बुला लीजिए।" “न हम कहीं जाते हैं, न किसी को बुलाते हैं। जिसे समझना हो, आवे, शांति से सुने, तो किसी को मना भी नहीं करते । लाभ लेनेवाले के लिए शिविर की सूचना आत्मधर्म में निकलती है। जिसे आना होता है, आता ही है। सूचना मात्र से ही हजारों जिज्ञासु आते हैं और लाभ लेते हैं।" "यह सब तो ठीक पर एक बार...." "एक बार क्या, हम तो बार-बार कहते हैं कि यह मनुष्य भव और दिगम्बर धर्म बार-बार मिलनेवाला नहीं। जिसे आत्मा का हित करना हो उसे जगत के सब प्रपंचो से दूर रहकर आत्मानुभव प्राप्त करने का प्रयत्न करना चाहिए। यही एक मात्र करने योग्य कार्य है । शान्ति भी इसी में है।" ऐसा कहकर जब वे स्वाध्याय करने लगे तब मैं भी (19)

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