Book Title: Chaitanya Chamatkar
Author(s): Hukamchand Bharilla
Publisher: Todarmal Granthamala Jaipur

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Page 7
________________ चैतन्य चमत्कार बांचा है, पहला भाग आद्योपान्त । इसके अतिरिक्त पुरुषार्थसिद्ध्युपाय, पद्मनन्दिपंचविंशतिका, मोक्षमार्ग प्रकाशक, कार्तिकेयानुप्रेक्षा, समाधिशतक, तत्त्वार्थसार, बृहद् द्रव्यसंग्रह, इष्टोपदेश, भक्तामर स्तोत्र, विषापहार स्तोत्र आदि अनेक ग्रन्थों पर प्रवचन किये हैं। अभी मई में आत्मधर्म में ३३ ग्रन्थों की तो लिस्ट दी गई है, देखना । और भी पढ़े हैं। दिगम्बराचार्यों के सभी ग्रन्थ महान हैं। समस्त शास्त्रों का तात्पर्य एकमात्र वीतरागता है। प्रश्न : आप पुण्य भाव को हेय कहते हैं, तो क्या पूजा-पाठ, दया-दान आदि पुण्य कार्य नहीं करना चाहिए? आपके भगत तो पूजा-पाठ करते नहीं होंगे, दान देते नहीं होंगे? उत्तर : कौन कहता है ? जैसी पूजा सोनगढ़ में होती है, वैसी और जगह देखी भी नहीं होगी। कई विधानमहोत्सव हो चुके, पंचकल्याणक, वेदी प्रतिष्ठाएँ अनेक हुई हैं, जिनकी सूची मई के अंक में दी गई है। दान ! दान की क्या बात करते हो !! बिना कहे ही यहाँ वर्षा-सी होती है, देखते नहीं। हम पूजा-पाठ, दया-दान थोड़े ही छुड़ाते हैं, उसे धर्म मानना छुड़ाते हैं। वह धर्म है भी नहीं। प्रश्न :यदिधर्म नहीं तो फिर क्यों देंदान? क्यों करें पूजा? चैतन्य चमत्कार उत्तर : धर्मी जीव को देव-पूजा एवं दानादि देने का भाव आता ही है, आये बिना नहीं रहता । जब-जब शुद्धोपयोग न हो तो शुभोपयोग तो रहेगा ही। आचार्य पद्मनन्दी ने तो पद्मनन्दिपंचविंशतिका में यहाँ तक लिखा है कि - कौआ भी जब खुरचन को प्राप्त करता है तब साथी कौओं को बुलाकर खाता है, अकेला नहीं खाता। इसीप्रकार जो व्यक्ति प्राप्त धन का उपयोग सिर्फ अपने लिए करता है, साधर्मी भाइयों और धर्म कार्यों में खर्च नहीं करता, वह तो कौए से भी गया बीता है। जो धन प्राप्त हुआ है, वह तो पूर्वपुण्य का फल है। वर्तमान कमाने के अशुभ भाव रूप पुरुषार्थ का फल नहीं है और वह पुण्य भी जब बंधा था, तब तेरी शान्ति जली थी, अत: यह धन तो शान्ति का घातक है, कोई अच्छी चीज नहीं है। उत्तर : आप तो आत्मा की ही बात करते हैं। अपने जो तीर्थ हैं, उनकी यात्रा, वंदना, सुरक्षा आदि भी तो गृहस्थों के कर्त्तव्य हैं? उत्तर : क्यों नहीं ! हमने भी सारे भारत की तीन-तीन बार यात्राएँ की हैं। दो बार सारे भारत की, तीसरी बार अकेले दक्षिण भारत की। उनकी सुरक्षा भी आवश्यक है। प्रश्न : आपकी बातें पूर्णत: सच्ची हैं और अच्छी भी हैं, फिर लोग मानते क्यों नहीं ? (7)

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