Book Title: Bruhad Dharana Yantra
Author(s): Darshanvijay
Publisher: Charitra Smarak Granthmala

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Page 9
________________ ॥श्रीसिद्धचक्राय नमः ।। श्रीबृहद् धारणायंत्र। मंगलाचरणं :- श्रेयस्कर महावीर वंदेजगत्पितामह ोक चक्षुः पूर्ण पूर्ण केवल धु ति भास्कर तवीमि भारती ब्राही जगद्विज्ञानमातरं तमं शानधातारं ईडे श्रोगणनायक मच्चारित्र विजयं गुरुकुल पितामह णमामि त्रिशुध्याहं ज्ञानादि स्वात्म दायव पनाम :- प्रणम्येत्थं महत्पूज्यान गुरुम प्रसादतः श्रीबृहद् धारणायंत्रं करोमि जिनभक्तित: अध्याय १ उद्देशः:- साधकसाध्ययोप- पत्योम्थापक बियो: शिष्यगुह्येश्च दंपत्योः सुसबंध: समीक्ष्यते जन्मक्षयो नामभयोः न जन्मभनामक्षयोः नामायाक्षरयो र्जातो योगो योगेन शुध्यति नाम्निविशेषः :- देशे प्रामगृहस्वर व्यवहति चुनेषु दाने मनौ सेवाकांकोणी वर्ग संगरपुनर्भूमेलके मामभं जन्म परतो बापुरुषयोर्जन्म मेकस्यपद पात शुबमितो विलोक्यवतयोमिक्षमोलकः ॥ ०१

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