Book Title: Bruhad Dharana Yantra Author(s): Darshanvijay Publisher: Charitra Smarak Granthmala View full book textPage 7
________________ बृहद्घारणायंत्र-अ० ५, समजवानी रीति - -००० अमुक गाम ( संघ) स्थापक सूरि अथवा श्रावकने प्रतिष्ठा माटे ( पूजा माटे) क्या तीर्थ कर अनुकुळ छे ते पृ० २६ थी ६० ना कोष्टकथी तपासवू। ते आ प्रमाणे___ जेना माटे जोवू होय तेना नामनो आदिनो अक्षरलइ ते अक्षर वाळ पार्नु जोवू, तेमा उपर साधकाक्षर लखेल छे अने नोचे २४ तीर्थ करना नामो आपी तारा-योनि विगेरे ८ खानामां शुभ अशुभना संकेतो करेल छे, जे पैकीना अशुभतारा योनिवैर-कुवेर वर्गवैर देणानाविश्वा अशुभगण गणवैर अशुभराशि शत्रुराशि अशुभतर राशि नाहीवेध तथा नाडी पादवेध अशुभ छे समानविश्वा मध्यमगण मध्यगराशि तथा राशि भेदथो थयेल भवेध मध्यम छे अने स्वायोनि, मैत्रो योनि, योनि, वर्ग, लेणाविश्वा स्वगण शुभराशि प्रीति स्वराशि श्रेष्ठराशि श्रेष्ठतर तथा वेध विनानो नाडी ए अत्यंत शुभ छ । प्रतिष्ठामा अशुभ तीर्थ करो बज्य छे मध्यम संकेतबाळा मध्यम छे अने अत्यंत शुभ तोथ करो सर्वथा अनुकुळ छे तो उत्तम अने मध्यम योगवाळा तीर्थ करोनो प्रतिष्ठा करवी जेथी जिन प्रतिमा प्रभावशाळी बने छे देवाधिष्ठीत रहे छे चिरकाळ पूजाय छे अने प्रतिष्ठापकने पण अनेकविध लाभ थाय छ। अहीं याद राखg के मोटे भागे तीर्थंकरो माटे ताराबळ जोवानी जरुर नथी एटले तारा बल कदावज जोवाय छे ज्यारे गण राशि अने नाडी तो अवश्य जोवाज जोइए। राशिनी प्रतिकुलता अथवा नाडी वेध होयतो प्रतिष्ठापके ते तीर्थ करनी प्रतिष्ठा कोइ रोते करवी नहीं केम के तारा–योनि-वर्ग-विश्वा---गणराशि अने नाडी ए पछोपछीना योगो वधारे वधारे बळवान छ । जे प्रतिमाना योगो वधारे बलवान होय ते प्रतिमानी प्रतिष्ठा करावधी शुभ छ। ___आरोते ट्रेक बाबतनो विचार करीने तीर्थ करनी अनुकुळतानो निर्णय करवो । * पानानी नीचे लखेल बावतो दिक्षा-विवाह माटे उपयोगी छे पण तीर्थकर माटे उपयोगी नथी इति शांतिः ।Page Navigation
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