Book Title: Bhav Sangrah Author(s): Devsen Acharya, Lalaram Shastri Publisher: Hiralal Maneklal Gandhi Solapur View full book textPage 5
________________ आचार्य श्री देवसेन का परिचय नयचक्ररयोपरि उच्यते । इससे विदित होता है कि नयचक्र से ही आलाप पद्धति को संस्कृत रूप में किया गया है। और "देवसेन कृता' लिखा है अत: यह उन्ही देवसेन का स्वा हुआ ग्रंथ है, यह सिद्ध है । लघु नयचक्र लघु नयचक्र श्री देवसनाचार्य का बनाया हुआ है इस से पहले के कई नय विवेचक ग्रन्थों को देखकर आचार्य देवसेन ने इसका नाम लघु नानक रक्खा ह एमा विदित होता है। आचार्य देवसेन की महत्ता और पूज्यता द्रष्य-स्वभाव प्रकाश नामका एक सुन्दर ग्रंथ है उसकी गाथा रूपमे रचना माइल्ल धवल ने की है । ये माइल्ल धवल भी महा विद्वान प्रतित होते है । उन्होंने उक्त अपने '' दब्वसहाब पयास " नामक ग्रन्थ मे लिखा है कि श्री देवसेन योमी के चरणों के प्रसाद से यह ग्रंथ बनाया गया । इस मे स्पाट सिद्ध है कि आचार्य देवमेन मूलसंघ के एक महान योगी और महान विद्वान थे । और मुनिगण तथा आचार्यों द्वारा पूज्य थे । नयचक्र के अंत मे यह गाथा मिलती है सियसद्द सुणय दुग्णय वणु देह विहारणेक्क वरवीरं । तं देवसेण देवं णयचक्कयरं गुरु पमह । ४२१ ।। अर्थात् स्यात् गब्द सुनय द्वारा दुर्नय शरीर घारी दानव के विदा. रण करने में महान वीर जो नयचक्र के कर्मा आचार्य देवसेन देव है उन देवसेन गुरु को नमस्कार करा । उपयुवत सभी कथन में यह वात सिद्ध हो जाती है कि आचार्य देवसेन गणी एक महान उद्भट विद्वान आचार्य हुए है वे दशमी शताद्वि में हार है और आचार्यबर्य कुंद कुंद स्वामी की आम्नाय मलसंघ के आचार्य थे। ये आचार्य विमनसन गणी के शिष्य थे । और वे स्वयं अनेक मुनियों के नामक गगी हुए है। आचार्य देवसेन में भावसंग्रह महान ग्रंथ जो गंभीर एवं सूक्ष्म तत्वों से भरा हुआ है बनाया है इसकेPage Navigation
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