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प्रहधुवाधिकारः । सूर्य-पङ्गल-वृहस्पति शनि चन्द्र-गतसौर मासाधिपति होते हैं ।
और किसी के मत से गतकाल को भी १२ से गुणा कर सावन मास युक्त कर हर का भाग देने से वर्तमान मासाधिप बुध-शुक्रआदिक होते हैं ॥ २ ॥
उदाहरण-शास्त्राब्द ८१२ को १२ से गुणा किया तो ९७४४ हुए इस में गत सौरमास शून्ययुत किया तो ९७४४ हुए इस में ७ का भाग दिया तो शून्य शेष बचा इस से गत सौरमासाधिप बुध वर्तमान मासाधिप शुक्र हुआ ॥
गतकलि ५०१२ को १२ से गुणा तो ६०१४४ हुए इस में वर्तमान मास वैशाख का संख्या एक जोड़ा तो ६०१४५ हुए इस में ७ का भाग दिया तो शेष एक बचा इस में वर्तमान मासाधिप शुक्र हुआ।
संवत् विधिः- . अब्दः पृथक् खेशगुणः शरागरामाङ्कलब्धेन्द्रियचन्द्रयुक्तः । तत्षष्टि शेषादिषुभिर्युगानि
लब्धानि शेषेऽङ्गिरसः समाः स्युः॥३॥
सं०टी०-अब्दपिण्डः पृथक् स्थानद्वये स्थाप्यस्तले खेशगुणस्तत्रवक्षमाणश्लोकोक्त पञ्चचन्द्रेषुलोचनाः क्षेपका देयास्ततः शरागरामाङ्कुर्लब्धं वर्षादिवर्षेपञ्चदशभिः १५ सहितमुपरियुक्तं तत् षष्टिशेषिते सति गत सव्वत्सरं वर्षाद्यं भवति ॥ ३ ॥
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