Book Title: Bhasvati
Author(s): Shatanand Marchata
Publisher: Chaukhamba Sanskrit Series Office

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Page 75
________________ पञ्चाङ्गस्पष्टाधिकारः । सं० टी० - इन्दोश्चन्द्रस्य खरूपान्निरसाः खचन्द्रा नृपा जिनाः पञ्चगुणा रशाब्धयः षष्ठिः शरागाः कुनवाष्टकाष्ठा षड्भानवो राममनुर्नवाहाः पञ्चाम्बुदा खाङ्कभुवो द्विखाश्वि विश्वाश्वि जात्यश्वि खरामदस्राः पञ्चाग्निदृग् गोऽनियमाः कुसिद्धा नेत्राब्धिम् वह्निजिनास्त्रिसिद्धाखण्डाङ्का भवन्ति ॥ १० ॥ ११ ॥ भा० टी० - चन्द्रमाका ० । १ । ३ । ६ । १० । १६ । २४ | ३५ | ४६ | ६० । ७५ । ९९ । १०८ । १२६ । १४३ । १५९ । १७५ | १९० | २०२ । २१३ | २२२ | २३० | २३५ । २३९ | २४१ । २४२ । २४३ । २४३ खण्डांक है || १० ॥ ११ ॥ में १२० ३५८० उदाहरण - दिनगण २७ को ९० से गुणा किया तो २४३० हुए इसको चन्द्रमा के ध्रुवा ११५० । २१ । ३० में त किया तो ३५ ८० | २१ | ३० हुए, फिर दिन गण २७ का भाग दिया तो अंशादिक ० | १३ | ३० मिले, इसको | २१ | ३० में मिलाया तो ३५८० । ३५ । • हुए इस में चरार्द्ध० को हीन किया तो ३५८० । ३५ । ० बचे इस में २४५७ का भाग दिया तो शेष ११२३ | ३५ | ० | रहे, इस में चन्द्रमा का अंशादि वीज ३ । ६ । १८ को युक्त किया तो ११२६ । ४१।१८ हुए इसमें अंशादि देशान्तर ऋण । १ । १२ । ० घटाया तो वीज देशान्तर संस्कारित मध्यम चन्द्रमा ११२९ । २० १८ हुआ || दिन गण २७ को १०० से गुणा किया तो २७०० हुए इस को चन्द्र केन्द्र ध्रुवा २३६१ । ४३ । १४ में युत किया तो ५०६१ । ४३ । १४ हुए फिर दिनगण २७ में ५० का भाग दिया तो फल अंशादि ० । ३२ । २४ मिले इसको ५०६१ । ४३ । १४ में युत किया तो ५०६२ । १५ । ३८ हुए इसमें २७१६ का Aho! Shrutgyanam ५३

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