________________
५४
भास्वत्याम् ।
भाग देने से शेष २३०६ । १५ । ३८ रहे इसमें चन्द्र केन्द्र का वीज धन ३।२७।० को युक्त किया तो २३०९।४२।३८ हुए इसमें चन्द्र केन्द्र का देशान्तर ऋण अंशादि ११२०० को घटाया तो वाज देशान्तर संस्कारित चन्द्रमा का मध्यम केन्द्र २३०८।२२।३८ हुआ ॥
चन्द्रमा के केन्द्र २३०८॥२२॥३८ में १०० का भाग दिया तो फलगत खण्ड! २३ मिला उससे तेइसवाँ गतखण्डा २३५ है, इसके बाद चौबिसवाँ भोग्य खण्डा २३९ है, इन दोनों का अन्तर धन ४ हुआ इस से शेष ॥२२॥३८ को गुणा किया तो ३३।३०।३२ हुए इसमें हर १०० का भाग दिया तो फल ०२०१६ मिले, इस को भुक्त. खण्डा २३५ में मिलाया तो २३९।२०१६ हुए इस को मध्यम चन्द्रमा ११२५।२९१८ में युक्त किया तो स्फुट चन्द्रमा १३६ ०।४९।२४ हुआ ॥ ७ ॥ ८ ॥ ९ ॥ १० ॥ ११ ॥
चन्द्र खण्डा-अन्तर-भुक्ति बोधक चक्रम् । • | १ २ ३ ४ ५ ६ ७ ८ ९ संख्या
m
०
खण्डा
m
०
अन्तर
|
| १०१
१०४ कलादि
'.
गतिः
०
6 ||०
||.
अन्तर
१७ १८ १७, १६ । १६ १०५ १.६, १०७, १०८ १०७, १०६ १०६
गतिः कलादि
Aho ! Shrutgyanam