Book Title: Bhasvati
Author(s): Shatanand Marchata
Publisher: Chaukhamba Sanskrit Series Office

View full book text
Previous | Next

Page 145
________________ १२३ त्रिप्रभाधिकारः। उसमें, और याम्य शेष में दोनों शेष में से जो न्यून होय उस में ३० का भाग देने से क्रम से मुक्त खंड ४५।३५।१५ होता है, शेष को भोग्य खण्डा से गुणा करके उसमें ३० का भाग देने से जो लब्ध मिलै उस के भुक्त खण्डा में हीन करने से चर होता है ॥२॥ उदाहरण -सायन दिनगण ५०१३ को १८७ में घटाया तो सौम्य शेष १३६।६७ बचे सौम्य शेष से सायन दिनगण अल्प है इससे सायन दिन गण ५०३ में ३० का भाग दिया तो फल १ मिला पहिला गत खंडा ४५ हुआ, शेष २०१३ बचे इस को भाग्य खंडा ३५ से गुणा तो ७०११४५ हुए इसमें ३० का भाग देने से फल २३।२३।३० मिले, इसको भुक्त खण्डा ४५ में मिलाया तो सौम्यचर ६१२३३० हुआ, कल्पित सायन दिन गण २२५३ है, यह १८७ में नहीं घटता इससे दिन गण में १८७ को घटाया तो याम्य शेष ३८।३ बचे, इसको १७८ में घटाया तो शेष १३९।५७ बचे, दोनों शेषों में पूर्व शेष ३८३ अल्प है, इसमें ३० का भाग दिया तो फल १ मिला पहिला गत खंडा ४५ हुआ शेष ८।३ को भोग्य खंडा ३५ से गुणा तो २८११४५ हुए इसमें ३० का भाग देने से लब्ध ९।२३।३• मिले इसको भुक्त खंडा ४५ में युक्त करने से याम्यचर ५४।२३।३० हुआ ॥२॥ Aho! Shrutgyanam

Loading...

Page Navigation
1 ... 143 144 145 146 147 148 149 150 151 152 153 154 155 156 157 158 159 160 161 162 163 164 165 166 167 168 169 170 171 172 173 174 175 176 177 178 179 180 181 182