Book Title: Bhasvati
Author(s): Shatanand Marchata
Publisher: Chaukhamba Sanskrit Series Office

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Page 164
________________ १४२ भास्वत्याम् । भा० टी०-मध्य दिन या मध्य रात्रि के पूर्व का पर्वकाल होतो सौम्य, पर का होय तो याम्य अर्थात् दिनार्द्ध, या मध्यरात्रि में पर्वकाल घटै तो सौम्यनत होता है और यदि पर्वकाल में दिनार्द्ध या मध्यरात्रि घटै तो याम्यनत होता है । नतका कृति बनावे यदि यह कृति और पूर्वकृति एकदिशा की होय तो योग करने से अन्य दिशा की होय तो गत गम्य करने से सूर्यचन्द्र का वलन होता है ।। ५ ।। उदाहरण - दिनमान ३०|४८ रात्रिमान २९ | १२ अर्द्धरात्रि १४ ३६ है; दितमान ३०|४८ में रात्रिमान का आधा ९४ | ३६ युत किया तो मध्मरात्रि ४५२४ हुई, पर्वकाल ५३ २३ इसके बाद का है इससे पर्वकाल में मध्यरात्रि मान को घटाया तो याम्यनत ७/५० हुआ इसकी याम्यकृति ६३ ४४ हुई, पहले की भी याम्यकृति १९४ । ३७ दोनो के एक दिशा के होने से योग किया तो याम्यवलन २५८ । २१ हुआ ॥ ५ ॥ इति श्री ज्योतिषीन्द्रमुकुट मणि श्री छत्रधर सूरिनुना गणकमातृप्रसाद विरचितायां भाखत्याः छात्रबोधिनीनाम टीकायां चन्द्रग्रहणाधिकारःषष्ठः || ६ || Aho! Shrutgyanam

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