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भास्वत्स्याम् ।
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दशाघकानि ( दहाई )। | १० | २०, ३० ४ ० ५० ६० ७० | ८० | ५० दिनगण १०००२०००३०० १३००२३०१ ६०१ १६००२६०१ ३६ / ४८ ० १२ | २४ | ३६ कला
विकला शताद्यङ्कानि ( सैकड़ा )।
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३००
दिनगण
१९०२
११०४
अंश कला विकला
भा० टी० -दिन दिन का दिन गणके अनुकूल मध्यम ग्रह जानने केलिये यह दिन गणसारणी तीन विभाग में बनाई गई है, पहिला विभाग जो ऊपर है उसमें एकादि ( एकाईका) याने एकसे नवतक का अंक लिखा है, दूसरा विभाग जो पहिले विभाग के नीचे है उसमें दशादि ( दहाई का ) अंक १०-२०-३० इस प्रकार से ९० तक लिखा है, तीसरा विभाग जो दूसरे विभाग के नीचे है उसमें शतादि ( सैकड़ा का ) अंक एक सौ से तीन सौ तक लिखा है ॥
जिस दिन का ग्रहस्पष्ट करना होय उस दिन का पहिले दिन गण बनावै, फिर जिस ग्रह को स्पष्ट करना होय उस ग्रह की दिन गण सारणी के अनकूल अर्थात् दिन गण में जो जो अक एकादिक का होय उस उस अंक के नीचे
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