Book Title: Bhagvati Sutra Part 03
Author(s): Ghevarchand Banthiya
Publisher: Akhil Bharatiya Sudharm Jain Sanskruti Rakshak Sangh

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Page 436
________________ भगवती सूत्र-श. ८ उ. ९ वैक्रिय गरीर प्रयोग बंध सरीरप्पओगबंधे य पंचेंदियवेउब्वियसरीरप्पओगबंधे य। .४२ प्रश्न-जइ एगिदियवेउब्वियसरीरप्पओगवंधे किं वाउपका. इयएगिदियसरीरप्पओगबंधे, अवाउक्काइयएगिदियसरीरप्पओगबंधे ? ४२ उत्तर-एवं एएणं अभिलावेणं जहा ओगाहणसंठाणे वेउब्वियसरीरभेओ तहा भाणियब्बो, जाव पजत्तासव्वट्ठसिद्धअणुत्तरोववाइयकप्पाइयवेमाणियदेवपंचिंदियवेउव्वियसरीरप्पओगबंधे य, अपजत्तासम्वट्ठसिद्ध-जाव पओगबंधे य । _____४३ प्रश्न-वेरब्बियसरीरप्पओगवंधे णं भंते ! कस्स कम्मरस उदएणं ? ४३ उत्तर-गोयमा ! वीरिय सजोग-सहब्बयाए जाव आउयं वा लद्धि वा पडुच्च वेउब्वियसरीरप्पओगणामाए कम्मस्स उदएणं वेउब्वियसरीरप्पओगबंधे। . . ४४ प्रश्न-चाउकाइयएगिंदियवेउव्वियसरीरप्पओग पुच्छा। ४४ उत्तर-गोयमा ! वीरिय-सजोग-सद्दव्वयाए एवं चेव जाव लदिध पडुच्च वाउक्काइयएगिदियवेउब्विय-जाव- बंधे । भावार्थ-४१ प्रश्न-हे भगवन् ! क्रिय-शरीर प्रयोग:बंध कितने प्रकार का कहा गया है? . ४१ उत्तर-हे गौतम ! दो प्रकार का कहा गया है। यथा-१ एकेन्द्रिय बैंक्रिय-शरीर प्रयोग-बन्धं और २ पंचेन्द्रिय वैक्रिय-शरीर प्रयोग-बन्ध । Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org

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