Book Title: Bhagvati Sutra Part 03
Author(s): Ghevarchand Banthiya
Publisher: Akhil Bharatiya Sudharm Jain Sanskruti Rakshak Sangh

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Page 487
________________ १५५० भगवती सूत्र-श. ८ उ. १० पुद्गलास्तिकाय का प्रदेश पुच्छा । २० उत्तर- गोयमा ! सिय दव्वं, सिय दव्वदेसे; अटु विभंगा भाणियव्वा, जाव सिय दव्वाई च दव्वदेसा य; जहा चत्तारि भणिया एवं पंच, छ, सत्त, जाव असंखेजा । २१ प्रश्न - अनंता भंते ! पोग्गलत्थिकायपएसा किं दवं ? २१ उत्तर - एवं चैव, जाव सिय दव्वाई च दव्वदेमा य । कठिन शब्दार्थ - पए से -- प्रदेश, उदाहु-- अथवा, सिय-कथं चत्, पडिसे हेयव्वा-निषेध करना चाहिये । भावार्थ - १७ प्रश्न - हे भगवन् ! पुद्गलास्तिकाय का एक प्रदेश (१) द्रव्य हैं, (२) द्रव्य- देश हैं, (३) बहुत द्रव्य हैं, ( ४ ) बहुत द्रव्य- देश हैं, अथवा (५) एक द्रव्य और एक द्रव्य देश हैं, ( ६ ) अथवा एक द्रव्य और बहुत द्रव्य देश हैं, (७) अथवा बहुत द्रव्य और एक द्रव्य देश हैं, (८) अथवा बहुत द्रव्य और बहुत द्रव्य देश हैं ? १७ उत्तर - हे गौतम ! वह कथंचित् एक द्रव्य हैं, कथंचित् एक द्रव्य देश है, परन्तु वह बहुत द्रव्य नहीं और बहुत द्रव्य देश भी नहीं। एक द्रव्य और एक द्रव्यदेश भी नहीं । यावत् बहुत द्रव्य और बहुत द्रव्यदेश नहीं । १८ प्रश्न - हे भगवन् ! पुद्गलास्तिकाय के दो प्रदेश क्या एक द्रव्य है, या एक द्रव्य देश है, इत्यादि पूर्वोक्त प्रश्न ? १८ उत्तर - हे गौतम! १ कथंचित् द्रव्य है, २ कथंचित् द्रव्यदेश है, ३ कथंचित् बहुत द्रव्य है, ४ कथंचित् बहुत द्रव्य देश है ५ कथंचित् एक द्रव्य और एक द्रव्यदेश है, परन्तु ६ एक द्रव्य और बहुत द्रव्य देश नहीं ७ बहुत द्रव्य और एक द्रव्यदेश नहीं ८ बहुत द्रव्य और बहुत द्रव्यदेश नहीं । १९ प्रश्न - हे भगवन् ! पुद्गलास्तिकाय के तीन प्रदेश, क्या एक द्रव्य Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org

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