Book Title: Bhagvati Sutra Part 03
Author(s): Ghevarchand Banthiya
Publisher: Akhil Bharatiya Sudharm Jain Sanskruti Rakshak Sangh

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Page 485
________________ १५४८ भगवती सूत्र-श. ८ उ. १० पुद्गल का वर्णादि परिणाम १५ उत्तर-गोयमा ! पंचविहे पण्णत्ते, तं जहा-कालवण्णपरिणामे, जाव सुनिकल्लवण्णपरिणामे । एवं एएणं अभिलावेणं गंधपरिणामे दुविहे, रसपरिणामे पंचविहे, फासपरिणामे अविहे । १६ प्रश्न-संठाणपरिणामे णं भंते ! कइविहे पण्णत्ते ? १६ उत्तर-गोयमा ! पंचविहे पण्णत्ते, तं जहा-परिमंडलसंठाणपरिणामे, जाव आययसंठाणपरिणामे । कठिन शब्दार्थ-पोग्गलपरिणामे-पुद्गल परिणाम, संठाणपरिणामे--आकार परिणाम, परिमंडल-वलयाकार, आयय--आयत । भावार्थ-१४ प्रश्न-हे भगवन् ! पुद्गल परिणाम कितने प्रकार का कहा गया है? १४ उत्तर-हे गौतम ! पांच प्रकार का कहा गया है। यथा-१ वर्ण परिणाम २ गन्ध परिणाम ३ रस परिणाम ४ स्पर्श परिणाम और ५ संस्थान परिणाम। १५ प्रश्न-हे भगवन् ! वर्ण परिणाम कितने प्रकार का कहा गया है ? १५ उत्तर-हे गौतम ! पांच प्रकार का कहा गया है । यथा-१ काला वर्ण-परिणाम, यावत् शुक्ल (श्वेत) वर्ण-परिणाम । इसी प्रकार इस अभिलाप द्वारा दो प्रकार का गन्ध-परिणाम, पांच प्रकार का रस-परिणाम और आठ प्रकार का स्पर्श-परिणाम जानना चाहिये। . १६ प्रश्न-हे भगवन् ! संस्थान-परिणाम कितने प्रकार का कहा गया १६ उत्तर-हे गौतम! पांच प्रकार का कहा गया है। यथा-परिमण्डल संस्थान-परिणाम, यावत् आयत संस्थान-परिणाम । विवेचन-पुद्गल की एक अवस्था से दूसरी अवस्था होना 'पुद्गल-परिणाम' Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org

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