Book Title: Bhagvati Sutra Part 03
Author(s): Ghevarchand Banthiya
Publisher: Akhil Bharatiya Sudharm Jain Sanskruti Rakshak Sangh

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Page 501
________________ १५६४ भगवती सूत्र-श. ८ उ. १० कर्मों का पारस्परिक सम्बन्ध . १ ज्ञानावरणीय में दर्शनावरणीय की. नियमा है और दर्शनावरणीय में ज्ञानावरणीय की नियमा है। .: २ ज्ञानावरणीय में वेदनीय की नियमा है और वेदनीय में ज्ञानावरणीय की भजना ३ ज्ञानावरणीय में मोहनीय की भजना है और मोहनीय में ज्ञानावरणीय की नियमा है। ४ ज्ञानावरणीय में आयुष्य-कर्म की नियमा है और आयुष्य में ज्ञानावरणीय की भजना है। ५ ज्ञानावरणीय में नाम-कर्म की नियमा है और नामकर्म में ज्ञानावरणीय की भजना है। ६ ज्ञानावरणीय में गोत्र कर्म की नियमा है और गोत्र-कर्म में ज्ञानावरणीय की भजना है। .. ज्ञानावरणीय में अन्तराय की नियमा है और अन्तराय में ज्ञानावरणीय की नियमा है। ८ दर्शनावरणीय में वेदनीय की नियमा है और वेदनीय में दर्शनावरणीय की भजना है। ९ दर्शनावरणीय में मोहनीय की भजना है और मोहनीय में दर्शनावरणीय की नियमा है। ....१० दर्शनावरणीय में आयुप्य की नियमा है और आयुष्य में दर्शनावरणीय की भजना है। ११ दर्शनावरणीय में नामकर्म की नियमा है और नामकर्म में दर्शनावरणीय की भजना है। . १२ दर्शनावरणीय में गोत्र-कर्म की नियमा है और गोत्र-कर्म में दर्शनावरणीय की भजना है। १३ दर्शनावरणीय में अन्तराय-कर्म की नियमा है और अन्तराय में दर्शनावरणीय की नियमा है। १४ वेदनीय में मोहनीय की भजना है और मोहनीय में वेदनीय की नियमा है । १५ वेदनीय में मायुष्य की नियमा है और वायुष्य में वेदनीय की नियमा है। १६ वेदनीय में नामकर्म की नियमा है और नामकर्म में वेदनीय की नियमा है । Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org

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