Book Title: Bhagvati Sutra Part 03
Author(s): Ghevarchand Banthiya
Publisher: Akhil Bharatiya Sudharm Jain Sanskruti Rakshak Sangh
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भगवती मूत्र-दा. ८ उ. ५ गरार वध का पारम्परिक सम्बन्ध
१५३१
भंते ! ओरालियमरीरस्स० ? - १०३ उत्तर-एवं जहा आहारगस्म सम्बवन्धेणं भगायं तहा देसबन्धेण वि भाणियव्वं, जाव कम्मगस्स ।
१०४ प्रश्न-जस्म णं भंते ! तेयासरीरस्स देसबन्धे मे णं भंते ! ओरालियमरीरस्म किं वन्धए, अवन्धए ?
१०४ उत्तर-गोयमा ! बन्धए वा, अवन्धए वा ? १०५ प्रश्न-जइ बन्धए किं देसबन्धए, सव्वबन्धए !
१०५ उत्तर-गोयमा ! देसबन्धए वा, सव्वबन्धए वा । . १०६ प्रश्न-वेउब्वियसरीरस्स किं बंधए, अवन्धए ? १०६ उत्तर-एवं चेव, एवं आहारगसरीरस्स वि । १०७ प्रश्न-कम्मगसरीरस्स किं बन्धए, अबन्धए ? १०७ उत्तर-गोयमा ! बन्धए, णो अबन्धए ? ...१०८ प्रश्न-जइ बन्धएं किं देसवन्धए, सव्वबन्धए ? १०८ उत्तर-गोयमा ! देसवन्धए, णो सव्ववन्धए ।
१०९ प्रश्न-जस्स णं भंते ! कम्मगसरीरस्स देसबंधे से णं भंते ! ओरालियसरीरस्स० ? ... १०९ उत्तर-जहा तेयगस्स वत्तन्वया भणिया तहा कम्मगस्स वि भाणियव्वा, जाव तेयासरीरस्स जाव देसबंधए, णो सव्वबंधए । ... कटिन शब्दार्थ-वत्तव्यया-वक्तव्यता (कधन ) जहेव-जिस प्रकार, तहेव-उसी प्रकार।
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