Book Title: Bhagvati Sutra Part 03
Author(s): Ghevarchand Banthiya
Publisher: Akhil Bharatiya Sudharm Jain Sanskruti Rakshak Sangh

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Page 442
________________ भगवती सूत्र-श. ८ उ. ९ वैक्रिय शरीर प्रयोग बंध १५०५ ५१ प्रश्न-हे भगवन् ! वैक्रिय-शरीर-प्रयोग-बंध का अन्तर कितने काल का होता है ? ५१ उत्तर--हे गौतम ! सर्वबंध का अन्तर जघन्य एक समय और उत्कृष्ट अनन्त काल-अनन्त उत्सपिणो अवसर्पिणी यावत् आवलिका के असंख्यातवें भाग के समयों के बराबर पुद्गलपरावर्तन तक रहता है। इसी प्रकार देश. बंध का अन्तर भी जान लेना चाहिए। . ५२ प्रश्न-हे भगवन् ! वायुकायिक वैक्रिय शरीर-प्रयोग-बंध का अन्तर कितने काल का होता है ? ५२ उत्तर-हे गौतम! सर्व-बंध का अन्तर जघन्य अंतर्मुहूर्त और उत्कृष्ट पल्योपम का असंख्यातवाँ भाग होता है। इसी प्रकार देशबंध का अन्तर भी जानना चाहिये। ५३ प्रश्न-हे भगवन् ! तिर्यंचयोनिक पंचेन्द्रिय वैक्रिय-शरीर प्रयोग-बंध का अन्तर कितने काल का होता है ? ५३ उत्तर-हे गौतम! सर्वबंध का अन्तर जघन्य अन्तर्मुहर्त और उत्कृष्ट पूर्व-कोटि पृथक्त्व का होता है। इसी प्रकार देश-बंध का अन्तर भी जानना चाहिए और इसी प्रकार मनुष्य के विषय में भी जानना चाहिये । .५४ प्रश्न-जीवस्स णं भंते ! वाउकाइयत्ते, णोवाउकाइयत्ते, पुणरवि वाउकाइयत्ते वाउकाइयएगिदियवेउवियपुच्छा । ५४ उत्तर-गोयमा ! सव्वबन्धन्तरं जहण्णेणं अंतोमुहुत्तं, उक्कोसेणं अणतं कालं-वणस्सइकालो, एवं देसबन्धन्तरं पि । - ५५ प्रश्न-जीवस्स णं भंते ! रयणप्पभापुढविणेरइयत्ते, णो. रयणप्पभापुढवि०पुच्छा। Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org

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