Book Title: Bhagvana Neminath Diwakar Chitrakatha 020
Author(s): Purnachandravijay, Shreechand Surana
Publisher: Diwakar Prakashan

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Page 5
________________ भगवान नेमिनाथ गर्भ के नौ मास पूरे होने पर श्रावण सुदि पंचमी के दिन रानी शिवादेवी ने एक सूर्य जैसे प्रकाशपुंज रूपी बालप्रभु को जन्म दिया। राजभवन का कौना-कौना उस प्रकाश से जगमगा उठा। स्वर्ग से ६४ इन्द्र और हजारों देव-देवियाँ माता शिवादेवी की वन्दना करने आये। ADDIDI Joorcom ALLEODAD commmcco हे जगत् के तारणहार तीर्थंकर देव की का माता ! हमारा नमस्कार स्वीकार हो। TALUKA GOODSAROO MIMARATHAWWWarmaATTON देवेन्द्र ने बालक का एक अन्य प्रतिरूप | और बाल-प्रभु को अपने हाथों में उठाकर मेरुपर्वत के बनाकर माता के पास सुला दिया। | शिखर पर ले आये। अपने पाँच दिव्य रूप बना कर देवेन्द्र ने भगवान का जन्म अभिषेक किया। बारहवें दिन महाराज समुद्रविजय ने एक विशाल प्रीतिभोज का आयोजन किया और घोषणा की जब यह बालक माता के गर्भ में था तब माता ने अरिष्ट रत्नों का दिव्य चक्र (नेमि) देखा था, इसलिए हम बालक का नाम अरिष्टनेमि रखते हैं। सभी ने हर्ष ध्वनि के साथ राजा की घोषणा का स्वागत किया। एक आचार्य का कहना है, बालक का नाम इन्द्र ने 'नेमिकुमार' रखा, वे अरियों-शत्रुओं को भी प्यारे इष्ट लगते थे इसलिए उनका नाम अरि-इष्ट अरिष्ट प्रसिद्ध हो गया। .. 3...

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