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सोचिए
आपका मन क्या कहता है
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पशु खाता है केवल पेट भरने के लिए मूर्ख खाता है केवल स्वाद के लिए चतुर खाता है आरोग्य और शक्ति के लिए सन्त खाता है केवल साधना के लिए
यदि आप स्वयं को चतुर समझते हैं तो भोजन पेट में डालने से पहले एक क्षण सोचिए : ★ क्या यह प्राकृतिक भोजन है ?
★ किसी प्राणी के अपवित्र खून - माँस और चर्बी की गंदगी तो इसमें नहीं मिली है ? ★ किसी जीव की हत्या से निर्मित भोजन आपके पेट में जाकर हिंसा, क्रूरता प्रतिहिंसा की ज्वाला तो पैदा नहीं करेगा ?
और
शाकाहार है - स्वास्थ्य का आधार शाकाहार है - स्वच्छता का विचार शाकाहार है - शान्ति का संसार
निवेदक :
शाकाहार एवं व्यसनमुक्ति कार्यक्रम के सूत्रधाररतनलाल सी. बाफना ज्वेलर्स
जहाँ विश्वास ही परम्परा ह
"नयनतारा ", सुभाष चौक, जलगांव -- 425001 फोन : 23903, 25903, 27322, 27268
गंदी वस्तु पेट में डालकर पेट को कूड़ादान और मन को नरक मत बनाइये ।
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