Book Title: Bhagvana Neminath Diwakar Chitrakatha 020
Author(s): Purnachandravijay, Shreechand Surana
Publisher: Diwakar Prakashan

View full book text
Previous | Next

Page 35
________________ सोचिए आपका मन क्या कहता है 2 Jain Education International पशु खाता है केवल पेट भरने के लिए मूर्ख खाता है केवल स्वाद के लिए चतुर खाता है आरोग्य और शक्ति के लिए सन्त खाता है केवल साधना के लिए यदि आप स्वयं को चतुर समझते हैं तो भोजन पेट में डालने से पहले एक क्षण सोचिए : ★ क्या यह प्राकृतिक भोजन है ? ★ किसी प्राणी के अपवित्र खून - माँस और चर्बी की गंदगी तो इसमें नहीं मिली है ? ★ किसी जीव की हत्या से निर्मित भोजन आपके पेट में जाकर हिंसा, क्रूरता प्रतिहिंसा की ज्वाला तो पैदा नहीं करेगा ? और शाकाहार है - स्वास्थ्य का आधार शाकाहार है - स्वच्छता का विचार शाकाहार है - शान्ति का संसार निवेदक : शाकाहार एवं व्यसनमुक्ति कार्यक्रम के सूत्रधाररतनलाल सी. बाफना ज्वेलर्स जहाँ विश्वास ही परम्परा ह "नयनतारा ", सुभाष चौक, जलगांव -- 425001 फोन : 23903, 25903, 27322, 27268 गंदी वस्तु पेट में डालकर पेट को कूड़ादान और मन को नरक मत बनाइये । For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

Loading...

Page Navigation
1 ... 33 34 35 36