Book Title: Bhagvana Neminath Diwakar Chitrakatha 020 Author(s): Purnachandravijay, Shreechand Surana Publisher: Diwakar Prakashan View full book textPage 8
________________ निमित्तज्ञ के कथन का श्रीकृष्ण ने समर्थन किया Bonagp भगवान नेमिनाथ अभी हमें नर-संहार से बचकर नव-निर्माण करना है और इसके लिए शान्ति की जरूरत है। सभी यादवों ने पश्चिम दिशा की तरफ प्रस्थान कर दिया। कालकुमार विशाल सेना के साथ कृष्ण-बलराम का पीछा करता हुआ पश्चिम विंध्याचल के जंगलों में पहुँच गया। श्रीकृष्ण के सहायक एक देवता ने कालकुमार को रोकने के लिये माया रची। कालकुमार ने देखानदी किनारे एक किले के पास जगह-जगह पर चिताएँ जल रही हैं। एक बुढ़िया चिता के पास बैठी रो रही है। उसने बुढ़िया से पूछाक्या बताऊँ Jain Education International बुढ़िया रूपी देव ने रोते-रोते बताया। कालकुमार गर्व से सीना तानकर बोला यह क्या है ? किसकी चिताएँ हैं? ठीक है, सब यादव वंशी अपने-अपने परिवारों के साथ पश्चिम दिशा में प्रस्थान करें। कालकुमार के भय से बलराम-श्रीकृष्ण और सब यादव यहाँ जलकर मर गये। अब मैं भी इस चिता में जलकर मरूँगी। 'कृष्ण छलिया जरूर मेरे भय से अग्नि में छुपा है'अभी मैं पकड़ कर लाता हूँ। बता, कृष्ण की चिता कौनसी है? यही है। कालकुमार उस जलती चिता में कूद गया और अग्नि में जलकर भस्म हो गया। For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.orgPage Navigation
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