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भगवाज नेमिनाथ | फिर नेमिकुमार ने आगे बढ़कर शार्ङ्ग धनुष उठाया और और पाँच जन्य शंख हाथ में लेकर बजाया तो रबर की नली की तरह मोड़ दिया।
उसकी प्रचण्ड ध्वनि से दिशाएँ गँज उठीं।
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द्वारिका राजसभा में बैठे वासुदेव श्रीकृष्ण चौंक:श्रीकृष्ण कुमार को बाहुओं में लपेटकर हँसते पड़े। वे सीधे दौड़कर आयुधशाला में आये।। | हुए बोलेउन्होंने पूछा
आश्चर्य, तुमने यह शंख बजाया? मैंने आपका शंख उठाया
फिर- मेरा भाई ! मुझसे भी कुमार ! यह शंख और क्रीड़ा करते हुए फूंक
प्रचण्ड पराक्रमी है! वाह ! किसने फूंका?
डाला। पर, आप यों घबराये हुए क्यों हैं?
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