Book Title: Bhagvana Neminath Diwakar Chitrakatha 020
Author(s): Purnachandravijay, Shreechand Surana
Publisher: Diwakar Prakashan

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Page 20
________________ भगवान नेमिनाथ आज द्वारिका के घर-घर में मंगल दीप जल रहे थे। तोरणों पर बंदनवारे लटक रहे थे। श्रीकृष्ण वासुदेव के गंधहस्ती पर नेमिकुमार वरराजा बनकर बैठे और पीछे घोड़ों, रथों पर तथा पैदल सैकड़ों यादव चल रहे थे। VN दूर ऊँची पहाड़ी पर विशाल राज भवन की छत पर अनेक महिलाओं से घिरी सजी हुई राजीमती दुल्हन बनकर हाथ में वर माला लिए खड़ी प्रतीक्षा कर रही थी। राजुल की दो सखियाँ नेमिकुमार को देखकर आपस में बातें करने लगीं 8888888 000000 वर राजा कितना सुन्दर है। बाकी सब बातें तो ठीक हैं पर कहाँ हमारी राजुल गौरी-गौरी-सी और कहाँ कस्तूरी-सा श्यामवर्ण वर राजा । श्री हेमचन्द्राचार्यकृत त्रि. श. पु. च. में नेमिकुमार बारात के रथ में बैठकर चलने का कथन है, किन्तु उत्तराध्ययन सूत्र अ. २२ में वासुदेव के गंध हस्ती पर नेमिकुमार आरूढ़ होने का उल्लेख है। यहाँ पर उसी कथन को मान्य रखा है। For Private & Personal Use Only. Jain Education International www.jainelibrary.org

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