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भगवान नेमिनाथ एक बार फागुन का महीना था। श्रीकृष्ण और नेमिकुमार, सत्यभामा, रुक्मिणी आदि रानियों के साथ मल क्रीड़ा करने गये। सरोवर का केसरिया जल पिचकारियों में भरकर सत्यभामा, रुक्मिणी नेमिकुमार के ऊपर उछालने लगी। रानी जाम्बवती और पनावती ने फूलों की गेंद बनाकर नेमिकुमार की छाती पर फेंकी। कुमार हँसते हुए बोले
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बस, बस रहने
दो, भाभी।
अब जल्दी ही हमारी देवरानी कुमार को शीतल जल से रोज
नहलायेगी।
यह सुनकर कुमार हँसने लगे।
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