Book Title: Bhagvana Neminath Diwakar Chitrakatha 020
Author(s): Purnachandravijay, Shreechand Surana
Publisher: Diwakar Prakashan

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Page 3
________________ भगवान नेमिनाथ यमुना नदी के तट पट सोष्टियपुट जाम का विशाल नगर था। यहाँ पर हरिवंश के वृष्णि कुल में जन्मे दो राजाओं का राज्य था। सोरियपुर के उत्तर-पूर्व के शासक समुद्रविजय थे जिनकी पटरानी का नाम था शिवादेवी। दक्षिणी-पूर्व भाग पर राजा वसुदेव जी का राज्य था। इनकी दो रानियों थीं रोहिणी और देवकी। वसुदेव जी की बड़ी रानी रोहिणी के पुत्र थे बलराम। छोटी रानी देवकी के पुत्र थे श्रीकृष्ण । यह कहानी श्रीकृष्ण के चचेरे भाई भगवान नेमिनाथ के जीवन-वृत्त पर आधारित है जिन्होंने महान् पुण्य कर्म कर बीस स्थानकों की उपासना करके पिछले जन्म में तीर्थंकर गोत्र कर्म का बन्ध किया और स्वर्ग में अपराजित विमान में देव बनें। एक दिन स्वर्ग के सबसे ऊँचे अपराजित देव विमान में इस महान् पुण्यात्मा देव का आसन डोलने लगा। उन्होंने भविष्य के गर्भ में देखा ओह ! मैं अब शीघ्र ही मनुष्य लोक में माता शिवा के पुत्र रूप में जन्म लूँगा। LAAMILIAN | माता शिवादेवी महलों में सोयी हुई थीं। कार्तिक मास की कृष्ण त्रयोदशी की मध्यरात्रि में स्वर्ग से प्रयाण कर देव की भव्य आत्मा माता शिवादेवी के गर्भ में अवतरित हुई। एक साथ अनेक दिव्य स्वप्न उनकी आँखों में तैरने लगे। हाथी, सिंह आदि एक-एक करके १४ स्वप्न माता को दिखाई दिये। वे नींद से उठकर सोचने लगीं उन्होंने स्वर्ग से माता को प्रणाम किया। 00000 ओह ! एक साथ कितने शुभ स्वप्न आये हैं? Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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