Book Title: Bhagavati Jod 06
Author(s): Tulsi Acharya, Mahapragna Acharya
Publisher: Jain Vishva Bharati

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Page 288
________________ ६७ तीन विकलेंद्रिय में बेइंद्रिय ऊपजै तेहनों यंत्र (६) संघयण द्वार अवगाहना द्वार संठाण द्वार लेश्या द्वार | दृष्टि द्वार ज्ञान-अज्ञानद्वार योगद्वार उपयोग द्वा परिमाण द्वार जघन्य उत्कृष्ट जघन्य | उत्कृष्ट गमा २० द्वार नी संख्या उपपात द्वार अन तेहनां नाम | जघन्य । उत्कृष्ट ओधिक नै ओधिक १४.७ गनै जिण जिण ठिकाणे ओधिक जघन्य | ऊपजे तिण जघन्य उत्कृष्ट ओधिक नै उत्कृष्ट आयु में ऊप . १छेवटो पहली । नियमा । नियमा १२.३ ऊपज संखया असंख आंगुल नो असंख भाग २सम्यक मिथ्या २वच काया . योजन . | ૧૨૩ १छेवटो पहली १मिथ्या २नियमा १काया जघन्य नै ओधिक जघन्य नै जघन्य जघन्य नै उत्कृष्ट २.५.८ गमै जिण जिण ठिकाणे ऊपजै तिण रै जघन्य आयु में ऊपजै। संत या असंख आंगुल नो असंख भाग आंगुल नों असंख शग ऊपजै हुंडक ऊपजे | १ऐवटो पहली २नियमा उत्कृष्ट ओधिक ३.६.९ गमै जिण जिण | उत्कृष्ट नै जघन्य | ठिकाणे ऊपजै तिण रै उत्कृष्ट नै उत्कृष्ट उत्कृष्ट आयु में ऊपजै । १२.३ ऊपजे संखया असंख आंगुल नो असख भाग १२ योजन २सम्यक - २नियमा । मिथ्या | २वच काया ६८ तीन विकलेंद्रिय में तेइंद्रिय ऊपजै तेहनों यंत्र (७) गमा २० द्वार नी संख्या उपपातद्वार संघयण द्वार संठाण द्वार | लेश्या द्वार | दृष्टि द्वार ज्ञान-अज्ञान द्वार योग द्वार उपयोपहर परिमाण द्वार जघन्य उत्कृष्ट अदगाहना द्वार जघन्य उत्कृष्ट जघन्य | उत्कृष्ट १ ३ पहली २नियमा । २नियमा ओधिक नै ओधिक | १४.७ गमै जिण जिण ठिकाण ओधिक नैं जघन्य | ऊपजै तिण रै जघन्य उत्कृष्ट आयु | ओधिक नै उत्कृष्ट में ऊपजै। १.२.३ ऊपजे संख या असंख ऊपजै आंगुल नों असंख भाग २सग्यक मिथ्या २वच काय छवटो १मिथ्या १हुंडक ३पहली २नियमा । १.२.३ ऊपज १काया जघन्य नै ओधिक २५.८ गमे जिण जिण ठिकाणे जघन्य नै जपन्य | ऊपजे तिण रैजघन्य आयु जघन्य नै उत्कृष्ट मैं ऊपजै। संखया | असंख ऊपज आंगुल नों | आंगुलनों | असंख भाग | असंख भाग छेवटो ३गाऊ १हुंडक ३पहली २सम्यक नियमा २नियमा २वध उत्कृष्ट नै ओधिक उत्कृष्ट नै जघन्य उत्कृष्ट नै उत्कृष्ट ३.६.६गमै जिण जिण ठिकाणे ऊपजै तिण उत्कृष्ट आयु में ऊपजै। संख या | असंख ऊपजै आंगुल नों असंख भाग ऊपज काय २७४ भगवती-जोड (खण्ड-६) Jain Education Intemational For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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