Book Title: Bhagavati Jod 06
Author(s): Tulsi Acharya, Mahapragna Acharya
Publisher: Jain Vishva Bharati

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Page 358
________________ २४ दंडक में गमा अनै नाणत्ता २४ दंडक के नाम नारकी अगर स्तनित 12 गमा नी संख्या | जयन्य उत्कृष्ट गर्ने नाणता नी संख्या से बनस्पति बेइंद्रिय वारिदिय तिर्थव पंर्वेदिय ज्योतिषी वैमानिक सर्वसंख्या २००५ १४५ २०६ १९६० असुरादि ० भदनपति, व्यंतर, ज्योतिषी, साधन अने देशान-१४ ठिकाण नियंच युगलियो उपजे तिण र तीजे गरे २-२ नाणता पहै। इम २०. नाणता हु। एठिकाणे मनुष्य गुगलियो ऊपजता तीजे गमे-नाणता पई, म नानता हु। बि पुगलियां ना तीजे गया आश्री ७० नाणसा हवै। ए नाणता उपयुक्त शिवाय जाणवा। ए १९९० नाणसा जघन्य अने उत्कृष्ट गना आश्री कल्या। तेह में अधिक गगा ना नाणता मेला कीधा २०६० नाणसा हुवे। तथा असन्नी मनुष्य मनुष्य में ऊपजता दूजे तीजे गर्ने १-१ जाणतो, ए२ नाणता भेला कीयां २०७० नाणता हुदै। ए नाणता नी संख्या कही। तिण में न्यून-अधिक आया हुवै तो बहुभुत विचारी लीज्यो। ३४४ भगवती-जोड़ (खण्ड-६) Jain Education Intemational For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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