Book Title: Bhagavati Jod 06
Author(s): Tulsi Acharya, Mahapragna Acharya
Publisher: Jain Vishva Bharati

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Page 357
________________ - नियंच पंचेंदिया मनुष्य | अप वनस्पति बेइंदिय तेइंदिय चरिदिय - ज. उ. 9 ज. स. له له يه ليه MMMM. ८८८ccc २२ पृथ्वीकाय २३ अपकाय ४ उकाय १५ वायुकाव २६ वनस्पतिकाय ७बेइन्द्रिय २८ तेइन्द्रिय र चररिन्द्रिय 30 सनत्सुर म महेन्द्रसुर ब्रह्मसुर .३ लान्तकसुर AMANNNNN WW.ANIN MANMMMM ليه يه 999 يه يه १० ठिकाणां में ऊपजै १० ठिकाणा में ऊपजे ६ ठिकाणा में ऊपजै ६विकाणां में ऊपजै १० ठिकाणां में ऊपजै 40 ठिकाणां में ऊपजै ठिकाणां में ऊपजे ठिकाणां में ऊपजै २ठिकाणा में उपजै २ठिकाणा में ऊपजै २ ठिकाणां में उपजे २ठिकाणां में रुपये २ठिकाणा में उपजे २ठिकाणां में उपजै १ विकाणां में ऊपजै १ठिकाणां में ऊपगै १ठिकाणा में ऊपजै १ ठिकाणां में कफ १ठिकाणां में ऊपजै ठिकाणां मैं ऊपजे ठिकाणां में ऊपजै rrrrrrrrrrrxxxxx ANHAINNNNNNANCEx AUWWWWWWANWAAAAAAxx १५ सहसारसुर ३६ आणतसुर पाणतसुर आरणसुर ३६ अच्युतर 10वेयक ४ अनुत्तर विमान सर्वार्थसिद्ध सर्व नाणत्ता सक्कर ० 5Nm . مانده به به به قوه - Mummm ४ ३६ 29 ४० ३६ आणत सन्त लानाक सहझार पाणत आरण अच्युत । ४३ ४ ४ अनुतर | सर्वार्थसिद्ध अवेयक | जउ ज. उ. ज उ. ज. उ. उ. ज. उ. ज. . ज | ३३ ३३ गमा ३४३ Jain Education Intemational For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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