Book Title: Bhagavati Jod 06
Author(s): Tulsi Acharya, Mahapragna Acharya
Publisher: Jain Vishva Bharati

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Page 330
________________ १२७ मनुष्य में तीसरे सनतकुमार देवलोक नां ऊपजै तेहनों यंत्र (३१) गमा २०द्वार नी संख्या संघयण द्वार अव० भवधारणी अव० उत्तर वै० संठाण ६ लेश्या द्वार | दृष्टि द्वार ज्ञान-अज्ञान द्वार योग द्वार उपयोग द्वार उपपात द्वार | परिमाण द्वार उत्कृष्ट | जघन्य उत्कृष्ट जघन्य जघन्य | उत्कृष्ट जघन्य उत्कृष्ट । मूल ६हाथ १पदम आंगुल नों असंख भाग आंगुल नों संख्याता ओधिक ओधिक/१पृथक वर्ष १कोळपूर्व । १.२.३ | १२.३ | संख्याता | असंघयणी ओधिक नै जघन्य | पृथक वर्ष । | १पृथक वर्ष | ऊपजै ऊपजै ओधिक नै उत्कृष्ट १कोडपूर्व। | १कोडपूर्व | १लास योजन | समचौरंस नाना प्रकार | ३ ३निषमा | ३ नियमा भाग ६हाथ १पदम । ३ ४ जघन्य नै ओधिक | चकवई जघन्य नै जघन्य |१पृथक वर्ष ६ जघन्य नै उत्कृष्ट | कोडपूर्व १कोड़पूर्व । १२.३ | १पृथक वर्ष | ऊपजै १कोडपूर्व संख्याता | असंघयणी ऊपजे आंगुल नों। असंखभाग ३नियमा। ३नियमा आंगुल नों संख्याता भाग १लाख १ योजन | समधौरस नाना । प्रकार ३ ३नियमा नियमा ३ उत्कृष्ट नै ओधिक पृथक वर्ष १कोडपूर्व । १२.३ उत्कृष्ट नै जघन्य १पृथक वर्ष १पृथक वर्ष| ऊपजै उत्कृष्ट नै उत्कृष्ट १ कोडपूर्व | कोडपूर्व संख्याता | असंधयणी ऊपज आंगुल नों असंख भाग आंगुल नों संख्याता भाग १लाख योजन | समारंस नाना । प्रकार १ १२८ मनुष्य में चौथे माहेन्द्र देवलोक नां ऊपजै तेहनों यंत्र (३२) गमा २० द्वार नी संख्या | संघयण द्वार | अव० भवधारणी अव० उत्तर वै० संठाण लेश्या द्वार दृष्टि द्वार ज्ञान-अज्ञान द्वार योग द्वार उपयोग पर उपपात द्वार परिमाण द्वार जघन्य । उत्कृष्ट | जघन्य । | उत्कृष्ट जघन्य । उत्कृष्ट । जघन्य उत्कृष्ट | मूल | वैक्रिय १ | हाथ नाना | संख्याता | असंघयणी ऊपजे आंगुल नों असंख भाग आंगुल नों संख्याता । १लाख योजन ओधिक नै ओधिक धक वर्ष १कोडपूर्व । १२.३ ओधिक जघन्य|पृथक् वर्ष | पृथक वर्ष ऊपजे ओधिक नै उत्कृष्ट कोडपूर्व । |१कोड़पूर्व १ समचौरंस १पदम । ३ नियमा | ३ नियमा ३ | भाग | असंघयणी हाथ आंगुल नों असंख भाग जघन्यन ओधिक पृथक वर्ष । १कोम्पूर्व 1 १२३ | संख्याता जघन्य नै जघन्य |१पृथक वर्ष | पृथक वर्व ऊपजे । जघन्य नै उत्कृष्ट | कोडपूर्व १कोडपूर्व १लाख योजन | समचौरस | नाना प्रकार १पदम । ३ ३ निथमा | ३ निथमा आंगुल नों संख्याता भाग f | १२३ संख्याता | असंधयणी हाथ १पदम । ३ नियमा | ३नियमा उत्कृष्ट नै ओधिक पृथक वर्ष उत्कृष्ट नै जघन्य | १पृथक वर्ष उत्कृष्ट नै उत्कृष्ट १ कोडपूर्व १कोडपूर्व १पृथक वर्ष | ऊपज १कोडपूर्व आंगुलनों असंख भाग आंगुलन संख्याता भाग १लाख योजन | समचौरस नाना प्रकार ऊपजै १२६ मनुष्य में पांचवें ब्रह्म देवलोक नां ऊपजै तेहनों यंत्र (३३) गमा २० द्वार नी संख्या उपपात द्वार परिमाण द्वार संघयण द्वार अव० भवधारणी अव० उत्तर वै० संठाण लेश्या द्वार दृष्टि द्वार | ज्ञान-अज्ञान द्वार योग द्वार उपयोग उत्कृष्ट | जघन्य उत्कृष्ट जघन्य उत्कृष्ट जघन्य । उत्कृष्ट मूल । किय असंघयणी १ १पदन | ३ ३नियमा ३नियमा | | ओधिक नै ओधिक पृथक वर्ष | कोडपूर्व | १२.३ ओधिक जघन्य | पृथक वर्ष | पृथक वर्ष ऊपज ओधिक नै उत्कृष्ट १ कोळपूर्व १कोडपूर्व संख्याता ऊप नाना प्रकार आंगुल नों असंख भाग आंगुल नौ । १लाख संमाता । योजन भाग समचौरंस ४ असंघयणी ५हाथ १पद्म ३ ३नियमा | ३नियमा | ३ ३ जघन्य नै ओधिक १पृथक वर्ष | कोडपूर्व । जघन्य नै जघन्य १पृथक वर्ष | पृथक वर्ष जघन्य नै उत्कृष्ट १कोडपूर्व |१कोडपूर्व १२.३ ऊप संख्याता ऊपजै आंगुल नों असंखभाग आंगुल नों संख्याता १लाख योजन नाना प्रकार ६ भाग | असंघयणी ५हाथ १पदम आंगुल नों असंख भाग | १लाख योजन | समचौरस ३ उत्कृष्ट नै ओधिक १पृथक वर्ष | १कोडपूर्व । १२.३ उत्कृष्ट नै जघन्य |पृथक वर्ष | १पृथक वर्ष ऊपजे सत्कृष्ट नै उत्कृष्ट १ कोडपूर्व | १कोडपूर्व नाना प्रकार ३ नियमा | ३ नियमा संख्याता ऊपजे ३ ।। आंगुल नों संख्याता भाग ३१६ भगवती-जोड़ (खण्ड-६) Jain Education Intemational For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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