Book Title: Bhagavati Jod 06
Author(s): Tulsi Acharya, Mahapragna Acharya
Publisher: Jain Vishva Bharati

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Page 348
________________ १५३ दूसरे देवलोक मे मनुष्य युगलियो ऊपजै तेहनों यंत्र (५) गमा २०द्वार नी संख्या परिमाण द्वार संघयण द्वार अवगाहना द्वार संठाण द्वार लेश्या द्वार | दृष्टि द्वार ज्ञान-अज्ञानदार योग द्वार उपपात द्वार जघन्य उत्कृष्ट जघन्य उत्कृष्ट १गाऊ १ २ ओधिक ओधिक ओधिक नै जयन्य १पल्य जाझ ३पल्य १पल्य जाझोपल्य जाझो १२३ ऊप सख्याता ऊपजे १वज ऋाम नाराय २ सम्यक मिया गाऊ समचौरंस पहली नियमा निया ३ ओधिक नै उत्कृष्ट उपल्य |३पाय १२.३ ऊपजे सम्यक मिथ्या ऋपम नाराच गाऊ समचौरस पहली नियमा नियमा ४ जघन्य नै ओधिक १पल्य जाझो | १पत्य जाझो १.२.३ संख्याता गाऊ जाझी १गाऊजाझी ऊपजे ऋषभ नाराष रामचौरंस पहली | सम्यक निध्या नियमा नियमा १२.३ संख्याता उत्कृष्ट नै ओधिक उत्कृष्ट नै जघन्य उत्कृष्ट नै उत्कृष्ट | १पल्य जाझे ३पल्य पत्य जाझोपल्या जाझो उपल्य ३पल्य ऋषभ नाराच गाऊ समचौरस पहली नियमा १५४ पहले दूजै देवलोक में संख्याता वर्ष नां सन्नी मनुष्य ऊपजै तेहनों यंत्र (६) १ उपपात द्वार गमा पहले में दूसरे में परिमाण द्वार संघयण द्वार जघन्य उत्कृष्ट| जघन्य उत्कृष्ट जघन्य उत्कृष्ट जघन्य उत्कृष्ट अवगाहनादार संठाण द्वार। लेश्या द्वार दृष्टिदार ज्ञान-अज्ञानद्वार योग द्वार उपयोग ર? ४भजना कपल्य रसागर |१पल्य जाझो २सागर जाझो १ पल्प जाझो १षल्य जाझो रसागर २सागर २सागर जाझो २सागरजाझो संख्याता उपजे पृथक आंगुल ५सी धनुष्य ३भजना पृथक भजना १पल्य २सागर १पल्य १पल्य २सागर रसागर १पल्य जाझो रसगर जाझो १पल्य जाझो १पल्य जाझो २सागर जाझो |२सागर जाझो १२.३ ऊपजे संख्याता ऊपजे पृथक आंगुल संख्याता ४ भजना | ५ भजना १पल्य | २ सागर |१पल्य जाझो | सागर जाझो १पल्य १पल्य १पल्य जाझो |१पल्य जाझो २सागर २सागर २ सागर जाझो २सागर जाझो १२.३ ऊपजे ५ सौ धनुष्य धनुष्य ३३४ भगवती-जोड़ (खण्ड-६) Jain Education Intemational For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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