Book Title: Bhagavati Jod 06
Author(s): Tulsi Acharya, Mahapragna Acharya
Publisher: Jain Vishva Bharati

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Page 346
________________ १५१ पहले दूजे देवलोक में संख्याता वर्ष नां सन्नी तिर्यंच पंचेंद्रिय ऊपजै तेहनों यंत्र (३) १ उपपात द्वार दूसरे में जघन्य संघयण द्वार सठाण द्वार लेश्या द्वार दृष्टि द्वार ज्ञान-अज्ञान द्वार योग द्वार गना पहले में - जघन्य उत्कृष्ट उपयोग द्वार परिमाण द्वार जघन्य उत्कृष्ट अवगाहना द्वार जघन्य भजना | आंगुलनों असंख भाग भजना | १ १पल्य २ सागर १पल्य जा. २सागर जा. २ |१पत्य | पल्य १पल्य जा. १पल्य जा. २सागर २सागर | २सागर जा.२सागर जा. ३ १२३ ऊपज १हजार योजन ऊपजे |२सागर जा. पृथक ४पहली २सम्यक | नियमा | नियमा १पल्या २सागर । १पल्यजा. १पल्य जा. सागरसागर २सागर जा. १२.३ ऊपजे ऊपजे आंगुलनों असंख भाग २सागर जा. १२३ भजना १पल्यासागर १पल्य जा. १पल्यपल्य १पल्य जा. सागर २ सागर | सागर जा. भजना |२सागर जा. १पला जा. २सागरजा .. आंगुलनों असंखभाग ऊपजे ऊपजे योजन १५२ प्रथम देवलोक में मनुष्य युगलियो ऊपजै तेहनों यंत्र (४) गमा २० द्वार नी संख्या उपपात द्वार संघयण द्वार अवगाहनाद्वार सठाण द्वार लेश्या द्वार दृष्टि द्वार ज्ञान-अज्ञान द्वार योग द्वार उपयोग परिमाण द्वार उत्कृष्ट उत्कृष्ट उत्कृष्ट १२.३ २सम्यक २ ओधिकनै औधिक ओधिकनै जघन्य १पल्य १पल्य ३पल्य १पल्य संख्याता ऊपजै ऊपजे माम नाराब गाऊ समचौरंस नियमा नियमा ३ ओधिक नै उत्कृष्ट ३पल्य ३पल्य बज १.२.३ ऊपजे संख्याता ऊपजै २सम्यक मिया वापभन्दाराच गाऊ गाऊ समचौरंस नियमा नियमा जघन्यन ओधिक १पल्य १पल्य संख्याता १गाठ २सम्यक ऋामनाराब १पल्य राख्याता उत्कृष्ट नै ओधिक उत्कृष्ट नै जघन्य उत्कृष्ट नै उत्कृष्ट सम्यक मिथ्या ऋामनारा सगचौरस पहली नियमा ३पल्य ३३२ भगवती-जोड़ (खण्ड-६) Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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