Book Title: Bhagavati Jod 06
Author(s): Tulsi Acharya, Mahapragna Acharya
Publisher: Jain Vishva Bharati

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Page 340
________________ १४२ वाणव्यंतर में संख्याता वर्ष नां सन्नी तिर्यंच ऊपजै तेहनों यंत्र (३) गमा २० द्वार नी संख्या उपपात द्वार संघयण द्वार अवगाहना द्वार संठाण द्वारा लेश्या द्वार | दृष्टिद्वार ज्ञान-अज्ञान द्वार योग द्वार उपयोगा परिमाण द्वार उत्कृष्ट उत्कृष्ट जघन्य भजना भजना ओधिक ओधिक ओधिक नै जघन्या ओधिक नै उत्कृष्ट हजार वर्ष १० हजार वर्ष १पल्य १पल्य १० हजार वर्ष १पल्य असंख रुपले आंगुलनों असंख भाग १हजार योजन ऊपजै १हजार ४ पहली - मिथ्या २नियमा जघन्य नै औधिक जचन्द नै जघन्य जघन्य नै उत्कृष्ट | १० हजार वर्ष | १० हजार वर्ष १२.३ ऊपजे । १० हजार वर्ष आंगुलनों असंख भाग भजना उत्कृष्ट ओपिक हजार वर्ष उत्कृष्ट नै जयन्य हजार वर्ष उत्कृष्ट नै उत्कृष्ट | १पल्य भजना १पल्य हजार वर्ग आगुतनों असख १हजार बोजन १४३ वाणव्यंतर में मनुष्य युगलियो ऊपजै तेहनों यंत्र (४) गमा २०द्वार नी संख्या उपपात द्वार परिमाण द्वार संघयणद्वारा अवगाहना द्वार सठाण द्वार| लेश्या द्वार दृष्टि द्वार ज्ञान-अज्ञानद्वार योगद्वार जघन्य उत्कृष्ट जघन्य १ १वज ३गाऊ ० ओधिक नै ओधिक ओधिक जघन्य १पल्य हजार वर्ष १२.३ ऊपजै संख्याता ऊाजे हजार वर्ष जाझी समचौरंस पहली ओधिक नै उत्कृष्ट १पल्य १.२.३ १वज १कोस ३कोस ० संख्याता उपज पहली १ मिथ्या नियमा संख्याता ५सौधनुष्य | ५सौवनुष्य ० ४ जघन्य नै ओधिक जधन्य नै जघन्य जघन्य नै उत्कृष्ट १० हजार वर्ष १पल्य १० हजार वर्ष | १० हजार वर्ष १पल्य १२.३ कप समचौरस पहली मिथ्या नियमा १२.२ उत्कृष्ट नै आधिक ऊकृष्ट नजधन्य । उत्कृष्ट नै उत्कृष्ट हजार वर्ष हजार वर्ग १पल्य १पल्य १० हजार संख्याता कापजे नाऊ गाऊ समचौरंत नियमा ६ १४४ वाणव्यंतर में संख्याता वर्ष नां सन्नी मनुष्य ऊपजै तेहनों यंत्र (५) गमा २० द्वार नी संख्या उपपात द्वार परिमाण द्वार संघवण द्वार अवगाहना द्वार सठाण द्वार लेश्या द्वार | दृष्टिद्वार ज्ञान-अज्ञान द्वार योग द्वार उपयोग | जघन्य जघन्य जघन्य उत्कृष्ट १२.३ संख्याता १ २ ओधिक नै ओधिक ओधिक नै जघन्य ओधिक नै उत्कृष्ट सौधनुष्य हजार दर्ष • हजार वर्ष १पल्य पृथक आंगुल हजार १पल्य संख्याता जघन्य नै औधिक जघन्य नै-जयन्य जघन्य नै उत्कृष्ट १० हजार वर्ष १० हजार वर्ष १पल्य १२.३ ऊपजे पृथक आंगुल १० हजार वर्ष १पल्य पृथक आंगुल भजना संख्याता सा ५सी उत्कृष्ट ओधिक उत्कृष्ट नै जपन्य उत्कृष्ट नै उत्कृष्ट १० हजार वर्ष १० हजार वर्ष १पल्य १पल्य १० हजार वर्ष १पल्य १२३ ऊपज धनुष्य भजना भजना ३२६ भगवती-जोड (खण्ड-६) Jain Education Intemational For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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