Book Title: Bhagavati Jod 06
Author(s): Tulsi Acharya, Mahapragna Acharya
Publisher: Jain Vishva Bharati
View full book text
________________
८५ तिर्यंच पंचेंद्रिय में वनस्पतिकाय ऊपजै तेहनों यंत्र (१२)
गमा २० द्वार नी संख्या
उपपातद्वार
संघयण द्वार
अदगाहना द्वार
संठाण द्वार | लेश्या द्वार
सरया द्वार | दृष्टि द्वार
दृष्टिद्वार
ज्ञान-अज्ञान द्वार
परिमाण द्वार
उत्कृष्ट
योगद्वार | उपयोग द्वार
जघन्य
उत्कृष्ट
जघन्य
जघन्य
उत्कृष्ट
१वटो
४पहली
२ निवमा
१काया
ओधिक नै ओधिक ओधिक नै जघन्य ओधिक उत्कृष्ट
१गिच्या
१अंतर्मुहूर्त
अंतर्मुहूर्त १कोठपूर्व
१ कोडपूर्व १अंतर्मुहूर्त १कोडपूर्व
संखया असंखऊपने
आंगुल नों असंखभाग
१हजार योजन जामी
नाना प्रकार
१.२.३
१वटो
पहली
१मिध्या
२नियमा
जघन्य न ओधिक जघन्य जघन्य जघन्य नै उत्कृष्ट
१काया ।
१अंतर्मुहूर्त १ अंतर्मुहूर्त १कोडपूर्व
१कोडपूर्व १अंतर्मुहूर्त १कोउपूर्व
आंगुलनों । आंगुलनी असंख माग | असंख भाग
असंख ऊपजे
नाना प्रकार
१२.३
| १वटो
पहजार |
४पहली
गिध्या
उत्कृष्ट अधिक उत्कृष्ट नै जघन्य उत्कृष्ट नै उत्कृष्ट
आमुहूर्त १अंतर्मुहूर्त कोडपूर्व
१कोडपूर्व १अंतर्मुहूर्त १कोडपूर्व
आनुलनों असखभाग
अरांव ऊपड़
प्रकार
जाशी
८६ तिर्यच पंचेंद्रिय में बेइंद्रिय ऊपजै तेहनों यंत्र (१३)
गमा २० द्वार नी संख्या
संघयण द्वार
संताण द्वार | लेश्या द्वार | दृष्टि द्वार
ज्ञान-अज्ञानदार
योग द्वार |
उपयोग
उपपात द्वार जघन्य
परिमाण द्वार जघन्य
अवगाहना द्वार जघन्य । उत्कृष्ट
उत्कृष्ट
१२३
१शेवटो
१२
३पहली
१९डक
सम्यक
नियमा
२नियमा
२दच
ओधिक ओधिक ओधिक जघन्य ओधिकनै उत्कृष्ट
१अंतर्मुहूर्त १अंतर्मुहूर्त १कोडपूर्व
१कोडपूर्व
अंतर्मुहूर्त १कोडपूर्व
संखया असंख ऊपजे
आंगुलनी असंखभाग
|
जटो
|
पहली । १मिया
२नियना । पकाया
| जघन्य + ओधिक | १अंतर्मुहूर्त |जघन्य नै जघन्य अंतर्मुहूर्त |जयन्य नै उत्कृष्ट | कोडपूर्व
१कोडपूर्व
अंतर्मुहूर्त १कोडपूर्व
१२.३ | ऊपजे
असंख रुपजे
आंगुल नों आगुल नों असंख भाग | असंखभाग
। १छेवटो
| आंगुलनों
१हुंडक
२नियमा । २नियमा
| उत्कृष्ट नै ओधिक १अंतर्मुहूर्त | उत्कृष्ट नै जघन्य | १अंतर्मुहूर्त | उत्कृष्ट नैं उत्कृष्ट १कोडपूर्व
१कोडपूर्व १अंतर्मुहूर्त १कोडपूर्व
ऊप
असंखऊपन
विभाग
योजन
मिथ्या
काय
८७ तिर्यंच पंचेंद्रिय में तेइंद्रिय ऊपजै तेहनों यंत्र (१४)
10
गमा २०द्वार नी संख्या
उपपात द्वार
संघयण द्वार
अवगाहना द्वार
सठाण द्वार
लेश्या द्वार
| दृष्टि द्वार
ज्ञान--अज्ञान द्वार
योग द्वार | उपयोगदान
परिमाणद्वार
उत्कृष्ट
उत्कृष्ट
जघन्य
उत्कृष्ट
१२.३
१शेवटी
गाऊ
|
१९डक
।
सम्यक
।२नियमा
नियमा
ओधिक ओधिक अंतर्मुहर्त ओधिक नै जघन्य | १अंतर्मुहूर्त ओधिक नै उत्कृष्ट | १कोडपूर्व
| कोडपूर्व १अंतर्मुहूर्त १कोडपूर्व
आंगुलनी असख भाग
२वत्र काय
ऊपजे
असंख ऊपजै
|
पहुंढक
२नियमा
३पहली
काय
| जपन्य नै ओधिक जघन्य नै जघन्य जघन्य उत्कृष्ट
अंतर्मुहूर्त
अंतर्मुहर्त १कोडपूर्व
१कोडपूर्व १अंतर्मुहूर्त १कोडपूर्व
१२.३ ऊपजे
आंगुल नों असंख भाग
सखया असंख रूपजे
आंगुल नों असखभाग
। १ वटो
।
गाऊ
३पहली
। २नियना ।
नियमा
| उत्कृष्ट नै ओधिक | उत्कृष्ट नै जघन्य | | उत्कृष्ट नै उत्कृष्ट
१अंतर्मुहूर्त
अंतर्मुहूर्त १कोडपूर्व
|१कोडपूर्व
अंतर्मुहूर्त १कोडपूर्व
१२.३ ऊपजै
संखया असंख ऊपजै
आंगुल नों असंख भाग
२सम्यक मिथ्या
२वष काय
८८
भगवती-जोड (खण्ड-६)
Jain Education Intemational
For Private & Personal Use Only
www.jainelibrary.org

Page Navigation
1 ... 300 301 302 303 304 305 306 307 308 309 310 311 312 313 314 315 316 317 318 319 320 321 322 323 324 325 326 327 328 329 330 331 332 333 334 335 336 337 338 339 340 341 342 343 344 345 346 347 348 349 350 351 352 353 354 355 356 357 358 359 360