Book Title: Bhagavati Jod 06
Author(s): Tulsi Acharya, Mahapragna Acharya
Publisher: Jain Vishva Bharati

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Page 322
________________ ११५ मनुष्य में तेइंद्रिय ऊपजै तेहनों यंत्र (११) गमा २० कार की संख्या संपराग द्वार सठाण द्वार लेश्या द्वार दृष्टि द्वार ज्ञान-अज्ञानद्वार योग द्वार उपपात द्वार जघन्य उत्कृष्ट । परिमाण द्वार जघन्य उत्कृष्ट जघन्य । उकृष्ट १२.३ गाऊ १हुंजक ३पहली २सम्यक २नियमा नियमा २वध ओधिक नै ओधिक ओधिक जघन्य | ओधिक चरकृष्ट २ ३ अंतर्भुत अंतर्मुहूर्त १कोठपूर्व आगुल नों। असंखभाग। कोलगर्व अंतर्गत बोजपूर्व असंख्याता ऊग असंख्याता ऊपरी सख्याता ऊपरी पहेक्टो ३पहली ४ जघन्य नै अधिक जघन्य नै जघन्य जघन्य नै उत्कृष्ट २निया अंतर्मुहूर्त अंतर्मुल कोडपून १२.३ ऊगले १काय | कोलपूर्व १अंतर्मुहूर्त १कोडपूर्व आगुल | आंगुल नों अपांग्रभाग असंख भाग असंखाता ऊपजे असण्यात आले संरख्याता उपद १२.३ | टो १९डय ३पहली २सम्यक । नियना उत्कृष्ट अधिक उत्कृष्ट जपना उत्कृष्ट उत्दष्ट असंख्या कप जसंख्याताजन २८ अंतर्नुहल अंतर्मुटून १कामपूर्व कोडपूर्व तमुन १कोपूर्व आगुमन! ३मार असंखभान। ११६ मनुष्य में चउरिद्रिय ऊपजै तेहनों यंत्र (१२) गमा २० द्वार नी संध्या पारमाण द्वार संघाम द्वार | अवगाहना द्वार सठाण द्वार लेश्या द्वार | दृष्टि द्वार ज्ञान-अहान द्वार योग द्वार पापातार जघन्य उत्कृष्ट । ३ १ऐव गाड २सम्बक | नियमा । २नियमा। थ १ २ ३ ओधिक नै ओधिक अंतसूत । कोहणून ओधिक जघन्य | अंगत नमुंडूर्त ओपिक नै उत्कृष्ट १कोजपूरे होशपूर्व १२.३ रूपजे सालारुपारी अनध्याताया गुल न असंखभाग काय १९इल | पहली १मिध्या नियमान काय ४ जपान ओपिक ५जधन्य न जाक जघन्य नै उत्कृष्ट १अंगुहा अंत १कोडपूर्व बटोआंगुल नीला अनव मास भाग कोअपूर्व १३ मुहूर्त कोतपूर्व अगस्ता रूप असंख्याता 0 एखाता की यह हडक २ सभ्यर विथमा | नियमान वध उत्कृष्ट नै रोधिक अंतर्मुहूर्त पूर्व अट जघन्य | अंत हो ! जहां उत्कृष्ट नै उत्कृष्ट १कोडपूर्व कोर्ट असखारटो अगस्ता सपना ऊपज ११७ मनुष्य में असन्नी तिर्यंच पंचेंद्रिय ऊपजै तेहनों यंत्र (५३) गमा २० द्वार नी नव्या ७ दृष्टि द्वार उभयतद्वार परिमाण अयाजना MONTSTE लेश्या द्वार शा-अज्ञानद्वार योगद्वार जघन्य । उनष्ट वटी | अगुवर्षे मुडव २सम्यक २नियमा । २निया श्वच अधिक ओरिक अधिकन बन्य आहत बस्य नौ अाख काम of अंतनुः २ योजन ३ ओधिक नै उत्कृष्ट डक पहली नियन २वथ काय असं पाग | असंखभाभ अरांच भाग योजन असंख जक पहली १मिथ्या १काय अंत ५. पूर्व कोहपूर्व अंतरले को १चटोअगुलन अशंस भाग गुलना अगंवभाग जघन्य ना स वय असंनभाग अनारस कापी विटो | २सन्थक नियमः । नियमा, उत्कृष्टhter उत्कृष्ट नै जमाय जनों असंख मान । र भर असंखभाग जयराम ३०८ भगवती जोड (खण्ड-६) Jain Education Intemational For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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