Book Title: Bhagavati Jod 06
Author(s): Tulsi Acharya, Mahapragna Acharya
Publisher: Jain Vishva Bharati

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Page 304
________________ ८८ तिर्यंच पंचेंद्रिय में चउरिद्रिय ऊपजै तेहनों यंत्र (१५) गमा २०द्वार नी संख्या १० उपयोग द्वार । संघयण द्वार अवगाहनादार संठाण द्वार लेश्या द्वार दृष्टि द्वार ज्ञान-अज्ञानद्वार योग द्वार उपपात द्वार जघन्य उत्कृष्ट परिमाण द्वार जघन्य उत्कृष्ट जघन्य उत्कृष्ट १ वटो १हुंडक २नियमा २नियमा ओधिकन ओधिक १अंतर्मुहूर्त | ओधिक नैजधन्य | १अंतर्मुहूर्त ओधिक नै उत्कृष्ट | १कोडपूर्व १कोडपूर्व १अंतर्मुहूर्त १कोडपूर्व १.२.३ ऊपजै संख या [ असंख ऊपजै आंगुल नों असंख भाग २सम्यक मिथ्या २वध काय | १२.३ 1 १शेवटो पहुंडक १मिथ्या २निषमा १काय जधन्य नै ओधिक जघन्य नै जघन्य जघन्य उत्कृष्ट अंतर्मुहूर्त १अंतर्मुहूर्त १कोडपूर्व १कोडपूर्व १अंतर्मुहूर्त १कोडपूर्व संखया | असंख ऊपजे आंगुल नों | आंगुलनों | असंख भाग असंख भाग १वटो पहुंडक २नियमा २नियमा उत्कृष्ट नै ओधिक उत्कृष्ट नै जघन्य उत्कृष्ट नै उत्कृष्ट १अंतर्मुहूर्त १अंतर्मुहूर्त १कोडपूर्व १कोडपूर्व १अंतर्मुहूर्त १कोडपूर्व १.२.३ ऊपजै संख या असंख ऊपजै आंगुल नो । ४गाऊ | असंखभाग २सम्यक मिथ्या २वच काय १६ तिर्यंच पंचेंद्रिय में असन्नी तिर्यंच पंचेंद्रिय ऊपजै तेहनों यंत्र (१६) गमा २० द्वार नी संख्या परिमाण द्वार संघयण द्वार संठाण द्वार लेश्या द्वार दृष्टि द्वार ज्ञान-अज्ञानद्वार योग द्वार | उपयोग उपपात द्वार जघन्य उत्कृष्ट अवगाहना द्वार जघन्य | उत्कृष्ट १२.३ १छेवदो ३पहली पहुंडक २नियमा २नियमा ओधिक नै ओधिक | १अंतहत पल्य नों असंख भाग ओधिक जधन्य १अंतर्मुहूर्त | अंतर्मुहूर्त रांख या | असंखऊपजे आंगुल नों। पहजार असंख भाग योजन २सम्यक गिथ्या २वच काय ओधिक नै उत्कृष्ट १२.३ संख्याताही १वटो आगुल नों १हजार पहुंडक ३पहली १मिथ्या २नियमा २बर पल्यनों अरांय भाग पत्य नों असंखभाग ऊपजै असंख भाग योजन काय ४ १वटो १मिथ्या २नियमा १काय जघन्य ने ओधिक | १अतर्मुहूर्त |१कोडपूर्व | ५ अंतर्मुहूर्त अंतर्मुहूर्त जघन्य नै उत्कृष्ट | कोडपूर्व १कोडपूर्व १२.३ ऊपजे संखया असंखऊपजै आंगुल नों असंख भाग | आंगुलना असंखभाग १२.३ छेवटो ३पहली हुडक २सम्यक निषमा । २नियमा । २ वच उत्कृष्ट नै ओधिक उत्कृष्ट जघन्य उत्कृष्ट नै उत्कृष्ट | आंगुल नो । असंखभाग संखया असंख। ऊपजे नवगै गरी पर्याप्त संख्याता १हजार । योजन अंतर्मुहूर्त | पल्प नों असंखभाग ५अंतर्मुहूर्त गर्मुहूर्त पल्य नौ पल्यनी असंख भाग असंखभाग ६० तिर्यंच पंचेंद्रिय में संख्याता वर्ष नां सन्नी तिर्यंच ऊपजै तेहनों यंत्र (१७) गमा २० द्वार नी संख्या परिमाणद्वार संघयण द्वार अवगाहनाद्वार संठाण द्वार | लेश्या द्वार दृष्टि द्वार ज्ञान-अज्ञान द्वार योग द्वार उपयोग पर उपपात द्वार जघन्य । उत्कृष्ट जघन्य उत्कृष्ट जघन्य । उत्कृष्ट १२.३ ३भजना ३भजना १ | ओधिक नै ओधिक १अंतर्मुहूर्त ओधिक नै जघन्य | १अंतर्मुहूर्त ३पल्य १अंतर्मुहूर्त सखया असंख ऊपजै आंगुलनों असंख भाग पहजार योजन ऊपजे ओधिक नै उत्कृष्ट ३पल्य १२.३ संख्याता ही ३भजना ३भजना आंगुहनों असंखभाग योजन | पहली २नियमा | १काय जघन्य नै ओधिक जघन्य नै जधन्यू जघन्य नै उत्कृष्ट अंतर्मुहूर्त १अंतर्मुहूर्त १कोडपूर्व १कोडपूर्व १अंतर्मुहूर्त १कोडपूर्व ५२.३ ऊपजै संखया असंख ऊपजै आगुलनों । आंगुल नों असंख भाग असंख भाग ३भजना ३भजना उत्कृष्ट नै ओधिक उत्कृष्ट नै जघन्य | उत्कृष्ट ने उत्कृष्ट १अंतर्मुहूर्त ३पल्य १.२.३ १अंतर्मुहूर्त | १अंतर्मुहूर्त | उपज ३पल्य ३पल्य संख या असंख ऊपजै नवर्म गर्म पर्याप्ता संख्याता ऊपजे आंगुलनों | १हजार असंख भाग योजन २६० भगवती-जोड (खण्ड-६) Jain Education Intemational For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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