Book Title: Bhagavati Jod 06
Author(s): Tulsi Acharya, Mahapragna Acharya
Publisher: Jain Vishva Bharati

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Page 298
________________ ७६ तिर्यंच पंचेंद्रिय में छट्ठी नरक तमप्रभा नां जीव ऊपजै तेहनों यंत्र (६) गमा २० द्वार नी संख्या संघयण द्वार ना संठाण द्वार । लेश्या द्वार दृष्टि द्वार ज्ञान-अज्ञानद्वार योग द्वार | उपपात द्वार जधन्य उत्कृष्ट उपयोग द्वार परिमाण द्वार उत्कृष्ट अवगाहना द्वार जघन्य जघन्य असंघयणी | २५० धनुष्य नियमा पहुडक नियमा ओधिक औधिक | ओधिक जघन्य ओधिकनै उत्कृष्ट १अंतर्मुहूर्त १अंतर्मुहूर्त १ कोडपूर्व संख या असंख ऊपजे १कोडपूर्व १अंतर्मुहूर्त १कोडपूर्व आंगुलनों असंख भाग ऊपज | असंघयणी हुंडक ३नियमा | २१० धनुष्य | नियमा mc । जघन्य नै ओधिक जघन्य जघन्य जघन्य नै उत्कृष्ट १अंतर्मुहूर्त १अंतर्मुहूर्त १कोडपूर्व १कोडपूर्व १अंतर्मुहूर्त १कोडपूर्व १२.३ ऊपजै संखया असंख ऊपजे आंगुल नों असख भाग १० धनुष्य १९डक | १कृष्ण ३नियगा | ३नियमा | उत्कृष्ट नै ओधिक उत्कृष्ट नै जघन्य | उत्कृष्ट नै उत्कृष्ट | १अंतर्मुहूर्त अंतर्मुहूर्त कोडपूर्व १कोडपूर्व १ अंतर्मुहूर्त कोडपूर्व १२.३ ऊपजै संखया | असमरणी असंखऊपजे आंगुल नों असंखभाग ८० तिर्यंच पंचेंद्रिय में सातवीं नरक तमतमा नां जीव ऊपजै तेहनों यंत्र (७) गमा २०द्वार नी संख्या संघयण द्वार । सठाण द्वार लेश्या द्वार | दृष्टि द्वार ज्ञान-अज्ञान द्वार योग द्वार | उपयोग उपपात द्वार जघन्य उत्कृष्ट परिमाण द्वार जघन्य उत्कृष्ट अवगाहना द्वार जधन्य उत्कृष्ट १ | असंघयणी १हुंडक । १महा कृष्ण । ३ । ३नियमा ३नियमा ओधिक नै ओधिक औधिक जघन्य ओधिक उत्कृष्ट १अंतर्मुहूर्त १अंतर्मुहूर्त १कोडपूर्व १कोठपूर्व १अंतर्महर्व १कोडपूर्व संख या असंख ऊपजे | आंगुल नों | ५०० धनुष्य असख भाग ऊपजै । १२३ १९डक | १महा कृष्ण ३ ३नियमा | नियमा जघन्य नोधिक | जघन्य नै जघन्य । जघन्य नै उत्कृष्ट अंतर्मुहूर्त १अंतर्मुहूर्त १कोडपूर्व १ कोडपूर्व - १अंतर्मुहूर्त १कोडपूर्व संखया | असंख ऊपजे | असंघयणी | आंगुल नों | ५०० धनुष्य असंख भाग असंभयणी १९डक १महा कृष्ण ३ आंगुल नों |५०० धनुष्य असंखभाग | नियमा | नियमा उत्कृष्ट नै औधिक उत्कृष्ट जपन्य उत्कृष्ट नै उत्कृष्ट १अंतर्मुहूर्त अंतर्मुहूर्त १कोडपूर्व १कोडपूर्व १ अंतर्मुहूर्त १कोडपूर्व १२.३ ऊपजै संखया असंखऊपजे | ५१ तिर्यंच पंचेंद्रिय में पृथ्वीकाय ऊपजै तेहनों यंत्र (८) गमा २०द्वार नी संख्या संधयण द्वार अवगाहनाद्वार संठाणद्वार | लेश्या द्वार | दृष्टि द्वार ज्ञान-अज्ञानद्वार योगद्वार उपयोग द्वा उपपात द्वार जघन्य उत्कृष्ट परिमाण द्वार जघन्य उत्कृष्ट जघन्य १छेदटो चंद्र मसूर ४पहली ० २नियमा | १काया ओधिक नै ओधिक | १अंतर्मुहूर्त ओधिक नै जघन्य १अंतर्मुहूर्त ओधिक नै उत्कृष्ट १कोडपूर्व १कोडपूर्व १अंतर्मुहूर्त १ कोडपूर्व १२.३ ऊपजै संखया असंख ऊपजै आगुल नों असख भाग १छेदटो | चंद्र मसूर | ३पहली | मिथ्या . रनियमा । काया जघन्य नै ओधिक जघन्य नै जघन्य जघन्य नै उत्कृष्ट १अंतर्मुहूर्त १अंतर्मुहूर्त १कोडपूर्व १कोडपूर्व १अंतर्मुहूर्त १ कोडपूर्व १२.३ ऊपज संखया असंखऊपज आंगुल नों असं भाग | छेवटो | चंद मसूर | पहली मिश्या उत्कृष्ट नै ओधिक उत्कृष्ट नै जान्य जत्कृष्ट नै उत्कृष्ट २नियमा | काया | १अंतर्नुहूर्त अंतर्मुहूर्त कोडपूर्व १२.३ ऊपरी १कोडपूर्व १अंतर्मुहूर्त १कोडपूर्व सख या अरांख ऊपज आंगुल नों असंख भाग २८४ भगवती-जोड़ (खण्ड-६) Jain Education Intemational For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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