Book Title: Bhagavati Jod 04
Author(s): Tulsi Acharya, Mahapragna Acharya
Publisher: Jain Vishva Bharati

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Page 429
________________ बले बेहला गावू हूं गीत'। अंजलि करूं इण रीत ॥ १४ ॥ सींचाण गंधहस्ती' ताम । । * गात्र ओ बेहलो पाणी' मांहरे ए छेहलो नाटक करूं ए, छेहलो महामेह पुनसंग पांचव ए. बले कहूं कहूं सातमों ए. महासिला कंटक संगराम ।।१५।। हूं छेहलो तीर्थंकर चोबीसमों ए, ते हूं आठमों चरम भगवंत । इण अवसर्पणी काल में ए, मोख जासूं करमां रो कर अंत ॥ १६ ॥ सीतल माटी पाणी रा ठाम मांहि थी ए, उलंची उलंची ठाम । ने घटतो ए. वले झूठ बोले आम ||१७|| हूं बेहलो तीर्थकर चोबीसमों ए, इतरा कियां म्हाने नहीं दोख । वे कल्पे छे मो भणी ए. म्हांरं जाणो हे वेगो मोल ॥१८॥ जो हूं इतरावाना करूं नहीं ए, तो मौन लागे छै उलटा दोख । इतरा कियां विना ए, हूं जाय न सकूं मोख ॥ १६ ॥ आ तो थित छै काल अनाद री ए. ते छेहला तीर्थंकर नीं जाण । संका मत राखजो ए, इण विध कियां पोहचें निरवाण ॥२०॥ इसड़ी खोटी करै छै परूपणा ए, वज्र पाप ढांकण रे काज । वीर कहै साधां भणी ए, इतरी करै गोसालो आज ॥२१॥ बूहा बले कुणकुण करे छे परूपणा, घणां लोकां रे मांय । । ते जथातथ परगट करूं, ते सुणजो चित ल्याय ॥ १ ॥ ढाल : २१ [ अरे हां सुज्ञानी पास जिनंदा बे, अरे हां सुज्ञानी साहिब मेरा बे] अथवा [सलूणी रमणी रूड़ी ने अरे हांसंगे बोले कूड़ी वे ] Jain Education International ओ जस महिमा कोरत बधारण, बले मान बढ़ाई ताम । ते तो गोला फेंके गालां तणां ते तो मत राखण रै काम । गोसालो जिन नहीं रूड़ो वे अरे हां अग्यानी भितर कूड़ो वे ॥ १॥ ज० ते मन मांहे जाणे हे प्रतख खोटो, साचा श्री विरधमान । ते तो करमां वस जाणतो थको वले कुणकुण करे छे तान । गो० २ ॥ 1 आप तीपंकर जेम पूजावे, भगवंत ने कहै इन्द्रजाल । अन्हाखी यो बकवो करे, ओ तो दे दे अणतो आल ||३|| सात पोटपरिहार परूप्या, आपो छिपावण काम । ओ झूठ बोले निसंक सूं वले दुष्ट घणां परिणाम ||४|| For Private & Personal Use Only दोसाला चौपाई, डा० २०.२१ ४११ www.jainelibrary.org

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