Book Title: Bhagavati Jod 04
Author(s): Tulsi Acharya, Mahapragna Acharya
Publisher: Jain Vishva Bharati

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Page 442
________________ सर्वाणुभूती अणगार, ते गुण-रतनां रा भंडार । आज हो ते उपनो पिछम नां जनपद देस नों जी || || जद गोसाले तिण ठाम, तेजू लेस्या म्हेली ताम । ते आज हो वाल जाले नै भसम किया तिहां जी ॥ १०॥ पूछा करूं जोड़ी हाथ, मोनें कहो तिलोकीनाथ ! काल करे में मुनिवर किया गयो जो ॥११॥ हिवे भाखे श्री भगवंत, सुण गोतम ! मतवंत । आज हो सर्वाणुभूती गयो सुर आठमें जी ।। १२ ।। आठमां सुर मकार, आउषो सागर अठार । आज हो देव तणां सुख भोगवसी तिहां जी ।।१३।। जो चव ने जासी केत! वीर कहे महाविदेह खेत आज हो संजम लेई में सिवपुर जावसी जी ।। १४ । । बले हाथ जोड़ी सीस नाम पूछे गोतम साम आज हो बंदणा करी में वीर जिणंद में जो ।। १५ ।। उपनों कोसल देस मकार, सुनपत्र नामे अगगार । आज हो अंतेवासी थो सामी तुम तणों जी ।। १६॥ तिण ने गोसाले ताम, तेजू लेस्या मेली तिण ठाम आज हो तिगरं परतापे मर ने कहां गयो जी ? ।।१७।। हिये भाषे श्री भगवंत, सुण गोतम ! मतवंत । आज हो सुनवत्र साधु आयो मो कने जी ॥ १८॥ मोनें बांदे वाहंवार बले फेर महाव्रत धार आज हो साध साधवियां सर्व खमाविया जी ॥ १६ ॥ आलोए पडिकमे ताम, समाध पामे तिण ठाम आज हो काल करे गयो सुर बारमें जी ||२०|| इणरो आउखो सागर बावीस, ते भाख्यो जगदीस । आज हो देव तणां सुख भोगवसी तिहां जी ॥ २१ ॥ ओ चवने जासी केत, वीर कहै महाविदेह खेत । आज हो संजम लेई ने सिवपुर जावसी जी ॥ २२ ॥ वले हाथ जोड़ी सीस नाम, पूछे गोतम साम आज हो वंदना करे में वीर जिनंद ने जी ॥ २३ ॥ थारै कुसिष्य हुवो गोसाल, तिण कियो इहां थी काल । आज हो किण ठिकाणे जाए अपनों जी ॥ २४॥ हिये वीर कहे थे ताय, सुण गौतम ! जित ल्याय । आज हो गोसालो कुसिष्य हवो ते माहरो जी ||२५|| घात कधी साधां री बाल, छदमस्थपर्णे कर काल । आज हो बारमें देवलोके हवो देवता जी ||२६|| गोतम सामी सुणै इम वाय, मन में इचरज थाय । आज हो इसड़ो दुष्टी बारमें सुर किम गयो जी ? ॥२७॥ इसड़ा किया अन्याय, तिणसं पड़े नरक में जाय । आज हो तिन हूं इचरज पाम्पो अति घणों जी ॥ २८ ॥ गोतम पूछे जोड़ी हाथ, मोने कहो तिलोकीनाथ ! आज हो किन करणी कर गयो सुर बारमें जी ||२१|| ४२४ भगवती - जोड़ Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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