Book Title: Bhagavana Mahavira aur unka Tattvadarshan Author(s): Deshbhushan Aacharya Publisher: ZZZ Unknown View full book textPage 3
________________ हमें विश्वास है कि प्रत्येक सहृदय साधक और सत्पुरुष इस रचना को पढ़कर जीवन का शोधन कर पंधकार से प्रकाश की ओर प्रगति करेगा अपभ्रंश के महाकवि पुष्पदंत के शब्दों में "दयावढमाणं जिनं वडढमाणं'–दया के द्वारा वर्द्धमान महावीर के जीवन को दृष्टि में रखकर आशा है सुधी जन संतोष समता और शांति का रसास्वादन करेंगे। भगवं शरणो महाबीरो। (विद्वत् रत्न, धर्मदिवाकर) सुमेरचन्द विवाकर, बी० ए० एल० एल० वी शास्त्री, त्यायतीर्थ, दिवाकर सदन, सिवनी, मध्य प्रदेश १सितम्बर १९७३ पर्युषण महापर्व, दिल्लीPage Navigation
1 2 3 4 5 6 7 8 9 10 11 12 13 14 15 16 17 18 19 20 21 22 23 24 25 26 27 28 29 30 31 32 ... 1014