Book Title: Banna Hai to Bano Arihant
Author(s): Chandraprabhsagar
Publisher: Jityasha Foundation

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Page 7
________________ प्रश्न पूछने से नहीं, मात्र आपके मन में उठने से उनकी वाणी द्वारा हो जाता है। पूज्यश्री की वाणी अमृत संचय है। इसे हृदय से रसपान करें और हृदय की अतल गहराइयों में बहने दें। यह प्रभु की ओर से करुणामयी पुकार है और प्रेमपूर्ण आमंत्रण भी। जीवन के रहस्यों को जानने का,सत्य का अवगंठन हटाने का परम अवसर प्रभु ने प्रदान किया है। इस सुअवसर को, जीवन के रूपान्तरण की कला को चूक न जाएँ। एक दीर्घ प्रतीक्षा के बाद यह ग्रन्थ आपको समर्पित है। पूज्यश्री की वाणी को आत्मसात् कर जीवन-पथ और साधना-पथ दोनों को सफल बनाएँ। संसार से समाधि तक की मुक्ति-यात्रा में यह पुस्तक आपके लिए अति उपयोगी सिद्ध होगी। यह पुस्तक किसी दीपशिखा की तरह है, जिसके प्रकाश में आप आगे क़दम बढ़ा सकेंगे मुक्ति के दिव्य लोक की ओर।इसका एक-एक सूत्र हृदयंगम हो सके, इसी अभिलाषा के साथ.... प्रभुश्री के चरणों में विनीत अहोभाव! - मीरा Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org

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