Book Title: Bai Ajitmati aur Uske Samkalin Kavi Author(s): Kasturchand Kasliwal Publisher: Mahavir Granth Academy Jaipur View full book textPage 7
________________ प्रदान किया उनमें डॉ० भागधन्द भागेन्दु दमोह, श्रीमती राजकुमारी रीघेलीय, कटनी, डॉ. विनान्त क्लेवार्ट प्राच्य विद्या विभाग, लुनेन विश्वविद्यालय बेल्जियम, डॉस महेन्द्र सागर प्रचंडिया एवं डॉ प्रादित्य प्रचंडिया अलीगढ, डॉ० भागचन्द भास्कर नागपुर एवं श्रीमली हॉल पुष्पा जैन नागपुर, डॉ प्रेमचन्द राबका मनोहरपुर के विशेष रूप से प्राभारी हैं । हम समाज के सभी विद्वानों का स्वागत करते है 1 मागामी पुष्प मकादमी का मष्टम पुष्प ‘मुनि समाचन्द एवं उनका पापुराण" का प्रकाशन कार्य भी मई ८४ तक पूर्ण हो जावेगा। इस भाग में हिन्दी मैं रचित प्रथम पञ्चपुरण का पूरा पाठ एवं कवि के काब्य का मूल्यांकन किया गया है। जिसमें ५६० से भी अधिक पृष्ट रहेंगे । प्राभार अन्त में मैं इन सभी महानुभावों का प्राभारी हूं जिन्होंने प्रत्यक्ष एवं परोक्ष रूप से अकादमी को अपना सहयोग प्राशीद तया प्राथि क संबल प्रदान किया है। डा कस्तूरचन्द कासलीवाल निदेशक एवं प्रधान सम्पादकPage Navigation
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