Book Title: Ashtsahastri Part 3 Author(s): Vidyanandacharya, Gyanmati Mataji Publisher: Digambar Jain Trilok Shodh SansthanPage 17
________________ ( १६ ) जम्बूद्वीप पुस्तकालय संस्थान के अन्तर्गत एक विशाल पुस्तकालय की योजना थी। इसकी पूर्ति हेतु १९८७ में जम्बूद्वीप पुस्तकालय की स्थापना की गई। जिसका शुभारम्भ आ० श्री विमलसागर जी महाराज के कर-कमलों एवं उनके आशीर्वाद से सम्पन्न हुआ। इस पुस्तकालय में विश्वविद्यालीन पुस्तकालयों की पद्धति के अनुरूप इन्डेस्क कार्यों के माध्यम से अकारादि क्रम से पुस्तकों को व्यवस्थित किया गया है। सम्प्रति पुस्तकालय में ५००० पुस्तकें एवं पत्रिकायें संग्रहीत हैं। पंचकल्याणक प्रतिष्ठायें प्रथम पंचकल्याणक प्रतिष्ठा सन् १९७५ में भगवान् महावीर स्वामी की सवा नौ फुट ऊंची प्रतिमा की हुई थी। इसके लिये उस समय कम समम होने से एक छोटे से कमरे का ही निर्माण हो सका था। इसी कमरे को हटाकर वर्तमान में भव्य कमल मन्दिर का निर्माण कार्य सम्पन्न हो रहा है। इस पंचकल्याणक में चारित्र चक्रवर्ती १०८ आचार्यश्री शांतिसागर जी महाराज के तृतीय पट्टाचार्य श्री धर्मसागर जी महाराज विशाल संघ सहित एवं एलाचार्य श्री विद्यानन्द जी व गणिनी आर्यिकारत्न श्री ज्ञानमती माताजी का सानिध्य प्राप्त हआ। प्रतिष्ठाचार्य पं० श्री वर्धमान पार्श्वनाथ शास्त्री, सोलापुर निवासी थे। द्वितीय पंचकल्याणक ८४ फुट ऊंचे सुमेरु पर्वत के १६ जिनबिम्बों का २६ अप्रैल से ३ मई १९७६ तक आयोजन किया गया। इस पंचकल्याणक महोत्सव में आचार्यश्री शिवसागर जी महाराज के शिष्य आचार्यकल्प श्री श्रेयांससागर जी महाराज का सानिध्य एवं गणिनी आर्यिकारत्न श्री ज्ञानमती माताजी का सानिध्य प्राप्त हुआ था। इस आयोजन के प्रतिष्ठाचार्य ब्र० सूरजमल जी निवाई थे। तृतीय पंचकल्याणक प्रतिष्ठा २८ अप्रैल १९८५ से २ मई १९८५ तक सम्पन्न हुई । यह आयोजन जम्बूद्वीप के समस्त जिनबिम्बों के पंचकल्याण का आयोजन था। यह समारोह राष्ट्रीय स्तर पर सम्पन्न हुमा। इसमें सानिध्य प्राप्त हआ भाचार्यश्री धर्मसागर जी महाराज के संघस्थ साधगणों का एवं आचार्यश्री सूबाहसागर जी तथा गणिनी आयिकारत्न श्री ज्ञानमती माताजी के संघ का। प्रतिष्ठाचार्य ब्र० सूरजमल जी थे । समारोह में भारतवर्ष के प्रत्येक प्रान्त से धर्मानुरागी बन्धुओं ने भाग लिया तथा उ० प्र० सरकार का भी "शासन की ओर से अच्छा सहयोग रहा। उत्तर प्रदेश के तत्कालीन मुख्यमंत्री श्री नारायण दत्त जी तिवारी ने जम्बूद्वीप का उदघाटन किया था। अन्य केन्द्रीय व उत्तर प्रदेश के मंत्रीगण व सांसद भी समारोह में उपस्थित हुये थे। रक्षामंत्री श्री पी० वी० नरसिंह राव भी आयोजन में सम्मिलित हुए। चतुर्थ पंचकल्याणक ६ मार्च से ११ मार्च १९८७ तक सम्पन्न हुआ। इस महोत्सव में भगवान पार्श्वनाथ व भगवान् नेमीनाथ की दो विशाल पद्मासन प्रतिमाओं का पंचकल्याण महोत्सव हुआ। इस कार्यक्रम में आचार्यश्री विमलसागर जी महाराज के विशाल संघ का सानिध्य तथा गणिनी मायिकारत्न श्री ज्ञानमती माताजी के संघ का सानिध्य प्राप्त हवा । इस प्रतिष्ठा के प्रतिष्ठाचार्य पं. श्री शिखर चन्दजी भिण्ड थे। इसी शुभ अवसर पर सुमेरु पर्वत पर स्वर्ण कलशारोहण भी किया गया। मुख्य अतिथि के रूप में श्री माधवराव सिंधिया, केन्द्रीय रेल मंत्री तथा श्री जे. के. जैन भूतपूर्व सांसद भी आये । Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.orgPage Navigation
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