Book Title: Ashtavakra Mahagita Part 05
Author(s): Osho Rajnish
Publisher: Rebel Publishing House Puna

View full book text
Previous | Next

Page 13
________________ शुष्क पर्णवतीयो घन बरसे महाशय को कैसा मोक्ष ! एकाकी रमता जोगी जानो और जागो अपनी बानी प्रेम की बानी दृश्य से द्रष्टा में छलांग मन तो मौसम - र - सा चंचल स्वातंत्र्यात् परमं पदम् दिल का देवालय साफ करो निराकार, निरामय साक्षित्व सदगुरुओं के अनूठे ढंग मूढ़ कौन, अमूढ़ कौन ! अवनी पर आकाश गा रहा मन का निस्तरण ओशो के विषय में ओशो का हिन्दी साहित्य अनुक्रम 1 25 51 77 105 131 157 183 213 241 267 295 323 351 379

Loading...

Page Navigation
1 ... 11 12 13 14 15 16 17 18 19 20 21 22 23 24 25 26 27 28 29 30 31 32 33 34 35 36 37 38 39 40 41 42 43 44 45 46 47 48 49 50 51 52 53 54 55 56 57 58 59 60 61 62 63 64 65 66 67 68 69 70 71 72 73 74 75 76 77 78 79 80 81 82 83 84 85 86 87 88 89 90 91 92 93 94 95 96 97 98 99 100 101 102 103 104 105 106 107 108 109 110 111 112 113 114 115 116 117 118 119 120 121 122 123 124 125 126 127 128 129 130 131 132 ... 436