Book Title: Ashruvina Author(s): Mahapragna Acharya Publisher: Jain Vishva Bharati View full book textPage 7
________________ समर्पण जो स्थितप्रज्ञ कष्ट आने पर भी आत्म-निष्ठा नहीं छोड़ते, प्रतिकूल वातावरण से भी जिनका धीरज नहीं डोलता और जो स्वभाव से ही महान हैं, वे मेरी इस छोटी सी कृति का अर्घ्य पुष्पमाला के रूप में स्वीकार कर मुझे कृतार्थ करें। (पूर्व संस्करण से) Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.orgPage Navigation
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