Book Title: Anusandhan 2009 00 SrNo 47
Author(s): Shilchandrasuri
Publisher: Kalikal Sarvagya Shri Hemchandracharya Navam Janmashatabdi Smruti Sanskar Shikshannidhi Ahmedabad

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Page 33
________________ २८ अनुसन्धान ४७ चोथी ढाल- अभयकुमारना आग्रहथी शिवमुनि 'भय' वचन बोलवाना सन्दर्भमां पोताना जीवनवृत्तान्त रूप शिव अने शिवदत्त नामना बे बन्धुओर्नु कथानक जणावे छे. धनथी थता अनर्थो देखाडी संवेगपूर्वक दीक्षा अंगीकार करी इत्यादि. पांचमी-छठी ढाल- बीजा प्रहरमां सेवा करवा आवेल सुव्रतमुनि पण गुरुजीना कंठे हार देखी भयभीत बने छे. तेमना मुखमांथी सहसा 'महाभय' एवं वचन सरी पडे छे. अभयकुमारना पूछवाथी सुव्रतमुनि पोतानी कथा वर्णवे छे. आमां विशेषतः स्त्रीना कुटिल चरित्रनी वात छे. सातमी ढाल- सूरिजीना कंठे हार देखी धनमुनिना मुखेथी 'अतिभय' शब्द बोलाय छे. तेना सम्बन्धमां स्वजीवनकथा कहे छे. अन्ते अविश्वसनीय अने निन्दनीय स्त्रीव्यवहार जाणी संयम ग्रहण करे छे. आठमी-नवमी ढाल- चतुर्थप्रहरे सेवा करवा आवेल जोनकमुनि सूरिजीना कंठे हार देखी व्याकुल बनी जाय छे. अने 'भयातिभय' एम बोले छे. तेना अनुसन्धानमा श्रीमती नामनी पोतानी स्त्रीनुं दुश्चरित जणावे छे. दशमी ढाल- अभयकुमार प्रभाते पौषध पारी सुस्थितसूरिजीने वन्दन करवा जाय छे. हार देखी विचारे छे के पौषधना प्रतापे ज हार मळ्यो. खुश थता थता श्रेणिकराजाने ते हार सोंपे छे. अग्यारमी ढाल- श्रेणिकराजा अभयकुमारने दीक्षानी रजा नथी आपता. अभयकुमारना आग्रहथी राजा कहे छे- जे दिवसे हुं कहुं के जा, जा तारुं मोढुं न बतावीश, त्यारे मारी अनुमति समजी लेजे. एक दिवस भयानक ठंडीना दिवसोमां कायोत्सर्गध्याने रहेला मुनि याद आवतां मध्यरात्रिए चेलणादेवीना मुखेथी 'तेमनुं शुं थतुं हशे' एवं वचन बोलायु. श्रेणिकराजाने शंका थई, क्रोधना आवेशमां अभयकुमारने आदेश कर्यो- हमणां ज अन्तेपुर बाळी नाख, इत्यादि वर्णन छे. बारमी ढाल- अभयकुमार दीक्षा ग्रहण करे छे. सुनन्दा पण संयम ले छे. इत्यादि चर्चा साथे अन्ते प्रशस्ति छे. वि.सं. १००५मां 'जम्बू'मुनि थया हता. तेओए रचेल 'मणिपति राजर्षि' नामनो ग्रन्थ आजे पण उपलब्ध छे. तेमां Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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