Book Title: Anusandhan 2009 00 SrNo 47
Author(s): Shilchandrasuri
Publisher: Kalikal Sarvagya Shri Hemchandracharya Navam Janmashatabdi Smruti Sanskar Shikshannidhi Ahmedabad

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Page 57
________________ अनुसन्धान ४७ " " १५ टछको इकतारी ठौर स्थान वंटावै भाग पडाववो सातमी ढाल-४ आपड आंबवू टुकडो साचोवायें (?) " " १४ एकाग्रता पाउ पग आठमी ढाल-३ मुहतों महेता-मन्त्री ,, , ३ (दुहो) कूकवाजी बूमाबूम, चीसाचीस तिकोजी तेनो निहोर बहु, घणी कुक्यांतणौ चीसाचीस करवानो नवमी ढाल-५ खाड खणीनें खाडो करीने दाट्यो गाडीयौ सूणहरै शून्यघर चाढिनैं चढावीने रौष्यालो गुस्सावालो " ॥ १४ सुंस सोगंद दशमी ढाल-दुहा-१ दाधी दाझी-बळेली विसवावीस विश्वमां श्रेष्ठ दीक्षा संसारत्याग दशमी ढाल-९ आगन्या आज्ञा, अनुमति हुम्कम आज्ञा, अनुमति अग्यारमी ढाल-दुहा-१ ठाठरीयौ ठर्यो अग्यारमी ढाल-४ धुखतौ उठतो-धखतो गुपतिधर मन,वचन अने काया ए त्रण गुप्तिने बारमी ढाल-२ धरनारा बावीस परीसह सहन करवा योग्य क्षुधा-पिपासा आदि " " ३ दसविध साधुधरम क्षान्ति मृदुता आदि यति धर्म ॥ ॥ १० Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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