Book Title: Anusandhan 2009 00 SrNo 47
Author(s): Shilchandrasuri
Publisher: Kalikal Sarvagya Shri Hemchandracharya Navam Janmashatabdi Smruti Sanskar Shikshannidhi Ahmedabad

View full book text
Previous | Next

Page 62
________________ मार्च २००९ ५७ ऋण लघु पद्य रचनाओ कर्ता : वाचक विजयशेखरजी सं. साध्वी समयप्रज्ञाश्री श्रीनेमिनाथ अने महासती राजीमतीनो तेमज स्थूलिभद्रजी अने गणिका कोशानो प्रणय ए मध्यकालना जैन कविओनो विशिष्ट काव्य-विषय रह्यो छे. आ बन्ने युगलने केन्द्रमा राखीने अढळक काव्यो रचायां छे तेवं जाणवा मळे छे. अहीं आ विषयनी ३ अप्रसिद्ध लघु रचनाओ तैयार करी आपवामां आवेल छे. प्रथम रचना 'नेम-राजुलना बारमास' छे. बीजी रचना 'श्रीस्थूलिभद्रनुं चोमासु' छे. अने त्रीजी रचना 'नेमगीत' नामे छे. त्रणे रचनामा नायिका एटले के राजीमती अने कोशानो प्रेम, विरहनी व्याकुळता अने छेवटे वैराग्यनी के धर्मनी प्राप्ति ए रीते वर्णन जोवा मळे छे. त्रणेना कर्ता वाचक विजयशेखरजी छे, जेमनो नामोल्लेख दरेक रचनामां छेवटे जोवा मळे छे. आ रचनाओनी ३ पानांनी प्रत 'कच्छ कोडाय जैन महाजन भण्डार'मां विद्यमान छे, जेनी मने आपवामां आवेली जेरोक्स नकल उपरथी में मारी अल्पबुद्धिए आ सम्पादन करेल छे. भूलचूक के त्रुटि सुधारी लेवा सौने विनंती. श्रीनेम-राजुलना बारमास ॥ राग-गउडी ॥ काहेकू नेम रीसाना, देखत मेरउ चित्त लोभाना, सुणउ कबू वीनती नाहा, _लेहूं नवला योवन लाहा ॥१॥ का० आंकणी । नीकी बराति नेम राजा, हय गय रथ साथि दिवाजा; Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

Loading...

Page Navigation
1 ... 60 61 62 63 64 65 66 67 68 69 70 71 72 73 74 75 76 77 78 79 80 81 82 83 84 85 86