Book Title: Anusandhan 2009 00 SrNo 47
Author(s): Shilchandrasuri
Publisher: Kalikal Sarvagya Shri Hemchandracharya Navam Janmashatabdi Smruti Sanskar Shikshannidhi Ahmedabad

View full book text
Previous | Next

Page 60
________________ मार्च २००९ ५८ मिथ्याती जांणे नहींजी, जंगम तीरथ एह, दाशी(सी) प्रतें ते ईम कहेंजी, कछुइक भी(भि)क्षा देह, जगत...|१४|| चाटु भरीने बाकुलाजी, आणी प्रभुजीनें दीध, नी(नि)रागी प्रभु ते लि(ली)आजी, ती(ति)हां प्रभु पारणुं कीध, जगत...॥१५॥ देव वजावें दुंदुभीजी, जय जय बोलें कर जोड, हेमवृष्टि तिहां थइजी, साढीबारह करोड, जगत.... ॥१६॥ राय लोक सहु इम कहेंजी, धन धन पूरणसेठ, उ(ऊ)ची करणी तें करीजी, बीजा सहु तुज हेठ, जगत.... ॥१७॥ राय कहें ते सुं(\) दी(दि)योजी, पारणो कियो वीर, पूरणसेठ तव इम कहेंजी, में वोहरावी खीर, जगत.... ॥१८॥ जीरणसेठ तव सांभलीजी, वाजी दुंदुभीनाद, अन्नथी कियो प्रभु पारणोजी, मन थयों विखवाद, जगत.... ॥१९॥ हुं जगमें वडो अभागीयोंजी, घेर न आव्या स्वामि । कल्पवृक्ष किम पांमीयेजी, मारुमंडल ठाम, जगत.... ॥२०॥ केता मनोरथ में कीयाजी, तेता रह्या मनमांहिं, जिम जिम निरधन चिंतवेंजी, तिम तिम निःफल थाइ, जगत... ॥२१॥ प्रभुजी कीयों तिहां पारणोजी, कीधो अन्यत्र विहार, आव्या पास संतानीयाजी, तीहां मुनि केवळधार, जगत...||२२।। मेरे नगरमां कोण छेजी, पुण्यवंत जशवंत ? कहें केवली आज तो जी, जीरणशेठ महंत, जगत... ॥२४॥ राय कहे केण कारणेजी, जीरणसेठ महंत ? दान दियों जिणें वीरनेजी, ते पुरण यशवंत, जगत... ॥२५॥ राय प्रतें कहे केवलीजी पूरण दीधोंदान, हेमवृष्टि तेहनें हुंइंजी, अवर न कोई प्रमान, जगत... ॥२६॥ राय जीरण वधावीयोजी, अधिक मांन सनमान, मुखि नगरमा थापीयोजी, जोयों पुन्य प्रमाण, जगत... ॥२७॥ Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

Loading...

Page Navigation
1 ... 58 59 60 61 62 63 64 65 66 67 68 69 70 71 72 73 74 75 76 77 78 79 80 81 82 83 84 85 86