Book Title: Anusandhan 2007 04 SrNo 39
Author(s): Shilchandrasuri
Publisher: Kalikal Sarvagya Shri Hemchandracharya Navam Janmashatabdi Smruti Sanskar Shikshannidhi Ahmedabad

View full book text
Previous | Next

Page 31
________________ 26 अनुसन्धान ३९ वाचनामां जे बे महत्त्वपूर्ण घटको छे, ते आ बे सस्तबक प्रतोमां गेरहाजर शाथी ? आवो प्रश्न सहेजे थाय. आना समाधानमां बे कल्पना करी शकाय तेम छे. (१) आ बन्ने घटको अन्यकर्तृक होय अने प्रक्षिप्त होय. एटले के पूजा भणाववाना समये उद्भवेली कशीक आवश्यकतानी पूर्ति माटे कोई विद्वज्जनो आ बे चीजो पाछळथी जोडी होय. (२) अथवा, आ बन्ने चीजो, १७ छन्द पण अने १७ काव्यो पण, श्रीसकलचन्द्रगणिए ज रची होय, पण ते तेमनी स्वतन्त्र-अलग ज रचनाओ होय; जेने पाछळना समयमां पूजा भणावती वखते, पूजानी साथे संयोजी देवामां आवी होय. मने बीजी कल्पना वास्तवनी वधु नजीकनी लागे छे. केमके आवी अर्थसभर काव्यमय रचनाओ बीजा कोईनी होय एवं मानवानुं मन ना पडे छे; साथे ज, आटली सरस रचनाओ, जो मूळ पूजाना ज अंगभूत होय तो, ते पर टबो रचवानुं टाळवानुं जीवविजयगणि के सुखसागरगणिने कोई ज कारण न हतुं. बल्के ते पर टबो लखवानी क्षमता ते बेउमा हती ज, होय ज. एटले एम कल्पी शकाय के टबाकारोना समय सुधी एटले के १८५४ सुधी तो, आ छन्दो तथा काव्यो पूजानां अंग तरीके प्रचलित नहि थयां होय; पण सकलचन्द्रगणिनी स्वतन्त्र रचनाओ लेखे ज ते जाणीतां हशे; तेथी ज बन्ने टबाकारोनी कलम ते विषे प्रवर्ती नहि होय. २. आ पूजाओ, जे स्वरूप मुद्रित छे, ते करतां केटलेक स्थळे आ वाचनामां जुदा पाठ जोवा मळे छे; जेमां केटलाक पाठ वधु सारा, साचा अने महत्त्वपूर्ण जणाय छे. ते पाठोनी नोंध आ प्रमाणे छ : (१) प्रारम्भिक गाथा क्र. २ह. न्हवण विलेवण अंगंमी(मि) । न्हवण विलेवण अंगमें । प्राकृत गाथा होवानुं जोईए तो ह. पाठ वधु ठीक जणाय. (२) गा. ३ आहरणारोहणं चेव । 1. ho HD Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

Loading...

Page Navigation
1 ... 29 30 31 32 33 34 35 36 37 38 39 40 41 42 43 44 45 46 47 48 49 50 51 52 53 54 55 56 57 58 59 60 61 62 63 64 65 66 67 68 69 70 71 72 73 74 75 76 77 78 79 80 81 82 83 84 85 86 87 88 89 90 91 92 93 94 95 96 97 98 99 100 101 102 103 104 105 106