Book Title: Anusandhan 2007 04 SrNo 39
Author(s): Shilchandrasuri
Publisher: Kalikal Sarvagya Shri Hemchandracharya Navam Janmashatabdi Smruti Sanskar Shikshannidhi Ahmedabad

View full book text
Previous | Next

Page 30
________________ अप्रिल-२००७ 25 आ पूजा-उपर रचायेला बे स्तबक-टबार्थ जोवामां आव्या छे, अने ते बन्नेनी एक एक हाथपोथी प्राप्त थई छे. 'अ.' संज्ञक प्रतिगत टबार्थना कर्ता पं. सुखसागर गणि छे; तेमणे वि.सं. १८००मां स्तम्भतीर्थ (खम्भात) मां टबो लख्यो छे. तेनां पत्र १० छे. ते प्रति कच्छ-नवावास गामना उपाश्रयमा ग्रन्थसंग्रहनी प्रति परथी थयेल जेरोक्स प्रतिरूप छे. बीजी 'ब-' संज्ञक प्रतिगत टबार्थना कर्ता पं. जीवविजय गणि छे. तेमणे सं. १८५४ मां आणंदपुरमा आ टबार्थ लखेल छे. पत्र १२ छे. आ प्रति कच्छ-कोडायना जैन महाजन भण्डारनी क्र. ८१/९१४ नी नकलरूप प्रति छे. आ बन्ने टबार्थोनुं संकलन करीने प्रस्तुत वाचना तैयार थई छे. ज्या ब. प्रति जुदी पडी होय त्यां पादनोंध रूपे तेना पाठांश नोंधी मूकेल छे, अने उपर अ. प्रतिना पाठ लीधेल छे. आ टबार्थना आधारे तथा आ बेउ प्रतिओमां आलेखायेल पूजाना मूळ पाठोमां ज्यां ज्यां जे कांई विशेषता के तफावत जणाय छे, तेनी नोंध आ प्रमाणे छे : १. प्रचलित वाचनामां, अन्य पूजाओना आरम्भमां जेम 'दूहा' होय छे तेम, अहीं 'वस्तु' छन्द जोवा मळे छे. १७ पूजा, तो १७ वस्तु छन्द. अमां जे ते पूजाना वर्ण्य विषय- अपभ्रंश भाषामां, पण सघन, छटादार अने अर्थगम्भीर वर्णन थयुं छे. आ वस्तु छन्दो, अहीं आपवामां आवेल सम्पादनमां छे नहि. अर्थात् टबार्थनी बन्ने प्रतिओमां आ छन्दो पण नथी, तेना विवरण रूप टबो पण नथी, के छन्दो विषे कोई नोंध-निर्देश पण नथी. ए ज रीते, पूजाओना अन्ते काव्य-मन्त्रनो पाठ थाय छे. अहीं १७ पूजानां १७ काव्यो, प्रचलित वाचनामां प्राप्त छे. काव्यो संस्कृतमां छे, अने मुख्यत्वे उपजाति वृत्तमां छे. रचना पण शुद्ध, मधुर, प्रासादिक छे. ते काव्यो के ते परनो टबो, बन्ने प्रतोमा अदृश्य छे. आम केम हशे ? पूजानी वर्तमाने प्रचलित-मुद्रित वाचना पण मूळे तो कोई हाथपोथीना आधारे ज प्रचार पामी होय छे. तो ते (मुद्रित) Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

Loading...

Page Navigation
1 ... 28 29 30 31 32 33 34 35 36 37 38 39 40 41 42 43 44 45 46 47 48 49 50 51 52 53 54 55 56 57 58 59 60 61 62 63 64 65 66 67 68 69 70 71 72 73 74 75 76 77 78 79 80 81 82 83 84 85 86 87 88 89 90 91 92 93 94 95 96 97 98 99 100 101 102 103 104 105 106